Monday, May 7, 2012

अल्पसंख्यक छात्राओं में बढ़ रही शिक्षा के प्रति रूझान


अररिया  शिक्षा के मामले में बिहार में निचले पायदान पर समझे जाने वाले जिले अररिया में बदले जमाने के साथ अब बदली हुई तस्वीर उभर कर सामने आई है। मुस्लिम बाहुल्य इस जिले में आज से कुछ वर्ष पूर्व शिक्षा की स्थिति काफी चिंता जनक स्थिति में थी। लेकिन आज स्थिति बिल्कुल बदली सी है। अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज में पहले लड़कियों को पढ़ाना, उन्हें घर से बाहर स्कूल, कालेज एवं मदरसा भेजना अच्छा नही समझा जाता था। लेकिन पांच वर्षो में जिले में एक प्रकार से परिवर्तन देखने को मिल रहा है। 1991 एवं 2001 की सरकारी जनगणना में महिलाएं जहां मात्र 15 से 22 प्रतिशत साक्षर थी, जिसमें अल्पसंख्यक महिलाओं का साक्षरता दर मात्र 10 प्रतिशत था। लेकिन 2011 की जनगणना में निश्चित रूप से साक्षरता दर में अप्रत्याशित वृद्धि एक चौकाने वाला सुखद पहलू है।
जिले में 45 प्रतिशत महिलाएं मात्र साक्षर है। जिसमें अल्पसंख्यक महिलाओं का साक्षरता दर 36 प्रतिशत के करीब है। जिसमें तेजी से सुधार हो रहा है। शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता सरकार द्वारा चलाई जा रही शिक्षा संबंधी विभिन्न योजना के कारण ये संभव हो पाया है। बालिका पोशाक योजना, साइकिल योजना, मध्याह्न भोजन योजना, अल्पसंख्यक छात्रवृति एवं प्रोत्साहन योजना का असर निश्चित रूप से इस बदलाव का सकारात्मक पहलू बना है। अररिया जैसे पिछड़े जिले में आज सरकारी हजारों सरकारी स्कूल के अलावा सैकड़ों प्राइवेट स्कूल शिक्षा का अलख जला रहे हैं। जिले की अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियां आज उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बड़े-बड़े शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त कर रही है। साथ ही डाक्टर, इंजीनियर एव शिक्षिका बनकर सेवा प्रदान कर रही है।

0 comments:

Post a Comment