Monday, May 7, 2012

बिहार के दो करोड़ बच्चों के पेट में कृमि


अररिया : बिहार में 6-14 वर्ष तक के लगभग दो करोड़ से भी अधिक बच्चों की संख्या है। इनमें से 95 प्रतिशत से भी अधिक बच्चों के पेट में कीड़े दौड़ रहे हैं। अररिया जैसे पिछड़े जिले में वर्म पीड़ित बच्चों की संख्या तकरीबन छह लाख बताई जा रही है। यह खुलासा राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा जारी पत्र से होता है। आगामी 10 मई को आहुत अलबेन्डाजोल गोली खिलाने के कार्यक्रम को लेकर समिति द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट लिखा है कि बिहार के अधिकांश बच्चे वर्म से पीड़ित है। पत्र के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानकों के आधार पर हाल ही में राज्य के विभिन्न हिस्सों में एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में डब्ल्यूएचओ ने पाया कि 6-14 आयु वाले 95 फीसदी बच्चों के पेट में राउंडवर्म, हुकवर्म, व्हिपवर्म जैसे कीड़े हैं। चिकित्सकों की माने तो ज्यादातर वर्म या कीड़े मुख्यत: मृदा (मिट्टी) जन्य होते हैं। उक्त कीड़े अगर बच्चे के पेट में है तो बच्चा कुपोषण का शिकार हो जायेगा तथा शरीर में रक्त की कमी व थकावट पैदा कर देगी।
चिकित्सकों के अनुसार कीड़े बच्चों के बौद्धिक व शारीरिक विकास तथा उनके सीखने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यही नही वर्म पीड़ित बच्चे स्कूल जाने से भागते हैं। यही नही बच्चे को पढ़ने में साफ मन नही लगेगा और न ही मन व शरीर का विकास सही ढंग से होगा।
6-14 वर्ष तक के बच्चे आंत के कीड़े से अगर पीड़ित होते हैं तो हमेशा थकावट फील की बात करेंगे।
अररिया जिले में करीब 6 लाख बच्चे वर्म पीड़ित हैं। जिला स्वास्थ्य समिति इन बच्चों के पेट में व्याप्त कीड़े को भगाने व मारने के लिए 10 मई को अलबेन्डाजोल गोली खिलायेगी। जिले के सभी सरकारी प्राइवेट स्कूल, मदरसा, संस्कृत स्कूल पर कैंप लगाकर गोली खिलाया जायेगा। जबकि छूटे हुए बच्चों को 15 मई को मार्क अप राउंड में गोली दिया जायेगा।
डीपीएम रेहान अशरफ की माने तो वर्म का इलाज अलबेन्डाजोल गोली ही है। उन्होंने बताया कि गोली खाने के बाद चिकित्सकों की राय में 25 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाना शुरू कर देते हैं और बच्चों के 13 प्रतिशत साक्षर होने की संभावना ज्यादा बनती है। यही नहीं बड़े होने पर कीड़ामुक्त बच्चों के कमाने की क्षमता में 43 प्रतिशत तक इजाफा होता है।

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