फारबिसगंज (अररिया): इंसानों का ईमान कठघरे में है। इलाके में इंसानों का अपहरण भले अब कारोबार नहीं रहा। लेकिन अब बेजुबान पशुओं का अपहरण और फिरौती कारोबार का शक्ल ले रहा है। यह कारोबार नेपाल और अररिया के सीमावर्ती गांवों में तेजी से फल-फूल रहा है। पशुधन बचाने के लिए पशुपालक रतजगा कर रहे हैं। डीएसपी विकास कुमार कहते हैं कि ऐसे मामले सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी।
फिरौती की वसूली के लिए मानव के अपहरण का मामला अब बीती बात हो चली है। अब अपहरणकत्र्ताओं का चेहरा भी बदला है और उसके टार्गेट भी बदल गये हैं। भारत-नेपाल के सीमावर्ती गांवों में आजकल पशु अपहरण और फिरौती वसूली के मामले सामने आ रहे हैं। सौदा पक्का हो जाने पर एक हाथ फिरौती की रकम और दूसरे हाथ अपहृत मवेशी की डिलेवरी हो रही है। अपहरणकत्र्ताओं के नए रुख से पशुपालक और ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं। अपनी मवेशी बचाने के लिए ग्रामीण रतजगा कर रहे है। भारत से अपहृत मवेशी नेपाल पहुंचायी जा रही है और नेपाल से अपहृत मवेशी भारत पहुंचायी जा रही है। भारत-नेपाल के लोगों के बीच के रोटी-बेटी और पारिवारिक संबंधों का फायदा अपहरणकर्ताओं को मिल रहा है। जिले के नरपतगंज प्रखंड के सीमावर्ती गांव फुलकाहा, घुरना, पथरदेवा, मानिकपुर, पथराहा, चैनपुर, नवाबगंज, बेला बसमतिया, सोनापुर, फारबिसगंज के पिपरा, डूमरिया, सहबाजपुर, कुशमाहा, सहित दर्जनों गांवों में मवेशी अपहरणकर्ताओं का आतंक है। गांवों में अपहरणकर्ताओं के मुखबीर सक्रिय हैं जो चिन्हित घर के मवेशियों तथा आसपास की रैकी कर पूरी जानकारी अपराधियों को देते है। अपहरण बाद दलाल के माध्यम से पशुपालक और अपहरणकर्ता के बीच फिरौती की बात होती है। मवेशी वापस करने के लिए प्रति मवेशी 15 हजार से 30 हजार रुपया तक में सौदा तय होता है। साथ में शर्त यह रहती है कि पीड़ित पक्ष पुलिस के पास नही जायेगा। वरना वह उसे तथा उसके परिवार के सदस्यों को जान से हाथ धोना पड़ेगा। शंभू प्रसाद, अनमोल, पवन, जनार्दन, भज्जू साह, जैसे कई पशुपालक मवेशी अपहरण से पीड़ित है। मवेशी अपहरण कर्ताओं का अड्डा अचरा, अमरौड़ी, मधुरा जैसे गांव है। जहां से यह धंधा संचालित हो रहा है। बथनाहा ओपी, फुलकाहा तथा नरपतगंज थाना पुलिस ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर कुछ दिन पूर्व मधुरा गांव से मवेशी चोर तथा कुख्यात डकैत राजेन्द्र पासवान को हथियार के साथ गिरफ्तार भी किया था लेकिन अपहरण का यह कारोबार रूक नहीं सका। पथराहा गांव में तो बीते सप्ताह ग्रामीणों ने बैठक कर रात को अपहरणकर्ताओं से मुकाबला करने का भी निर्णय लिया। फारबिसगंज एसडीपीओ विकास कुमार ने इस प्रकार की शिकायत थानों में मिलने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि कोई पशुपालक सामने नही आ रहा है। हालांकि आवेदन मिलने पर ठोस कार्रवाई होगी। मवेशी गायब होने पर उन्होंने पशुपालकों से निडर होकर पुलिस से शिकायत करने को कहा।
कैंप है।
बहरहाल, दहशतजदा पशुपालक अपनी मवेशी बचाने के लिए रतजगा भले ही कर रहे हैं। लेकिन इससे निदान का ठोस उपाय नही कर पा रहे है। पुलिस बिना शिकायत के आगे नही बढ़ पा रही है।
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