Wednesday, May 23, 2012

सड़क पर खड़े पेड़ दे रहे हादसों को आमंत्रण


अररिया : नीतीश सरकार के कार्यकाल में विकास का सबसे पहले और सबसे अधिक असर सड़कों पर पड़ा। सात वर्षो के दौरान शायद हीं कोई ऐसा गांव होगा जहां सड़के नही बनी हो। खासकर मुख्य मार्गो का विकास भी काफी तीव्र गति से हुआ। चौड़ीकरण एवं नवीनीकरण का दौर आज भी जिले के विभिन्न मार्गो का जारी है। लेकिन सड़कों से सटे पेड़ एवं बिजली के खंभे कैसे हटेगी इस ओर न तो वन विभाग का ध्यान केंद्रित है और न हीं सरकार कोई ठोस दिशा निर्देश जारी कर रही है। सड़क से से पेड़ से टकरा कर कितने हीं लोग अपने हाथ-पैर तुड़वा रहे है तो कईयों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
अररिया से कुआड़ी कुर्साकांटा जाने वाली मार्ग पर एक दर्जन से अधिक जगहों पर पेड़ सड़क के एक फीट अंदर तक खड़े है। उन पेड़ों से टकराकर दर्जनों लोग अपने हाथ पैर तुड़वा चुके हैं। दो दिन पूर्व ही तेगछिया के निकट एक ट्रैक्टर पेड़ से टकरा गयी। इस घटना बरकुरवा गांव के अरुण देव मंडल, पंकज भगत एवं अन्य दो लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गये। बलवात के निकट आम का पेड़ दर्जनों हादसे का गवाह बन चुकी है। दो वर्ष पूर्व पटेगना के निकट कुआड़ी की ओर लौट रहे एसएसबी के जवान पेड़ से टकरा गये थे। इलाज के दौरान जवान की मौत हो गयी थी। इस रोड पर पेड़ से टकराने के आंकड़े ढेर परे हुए हैं। हाल हीं बने अररिया सुपौल पथ पर रानीगंज से भरगामा के बीच पांच किलोमीटर तक पेड़ सड़क किनारे खड़े हैं। कभी भी कोई बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है, लेकिन पेड़ कैसे हटेगा यह जानकारी देने के लिये कोई तैयार नही है। वहीं, अररिया जीरो माइल से गोढ़ी चौक तक बन रही सड़कों पर एक दर्जन से अधिक बिजली के खंभे हादसे को आमंत्रण दे रहा है। इसके बावजूद विभाग मौन है।

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