Wednesday, May 23, 2012

केसीसी घोटाला : फर्जी दस्तावेज खंगालने के लिये पांच टीम गठित


अररिया : केसीसी ऋण में की गई फर्जीवाड़ा का असली स्वरूप जल्द ही सामने आने वाला है। अररिया एसपी शिवदीप लांडे ने फर्जी दस्तावेज के जांच हेतु अलग-अलग बैंकों के लिये अलग-अलग टीम का गठन किया है। यह टीम जल्द बैंकों में दस्तावेज खंगालने के लिये पहुंचेगी। एसपी श्री लांडे ने बताया कि अररिया के लिये चार एवं फारबिसगंज के लिये एक टीम गठित की गयी है। यह टीम उन तमाम दस्तावेजों को खंगालेगी जिसके आधार पर किसान क्रेडिट कार्ड ऋण, ट्रैक्टर, थ्रेसर एवं अन्य कृषि अधारित ऋण का वितरण किया गया है। एसपी ने बताया कि जांच के बाद फर्जीवाड़ा का असली स्वरूप सामने आयेगा कि कितने लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैंकों को चूना लगाया है। उन्होंने बताया कि कई बैंक अधिकारियों एवं बिचौलियों की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि जिले में 600 से अधिक विभिन्न कंपनियों के ट्रैक्टर ऐसे है जो फर्जी दस्तावेज के आधार पर आवंटित करायी गयी है। एसपी ने बताया कि फर्जीवाड़ा का दौर वर्ष 2005 से 2008 तक व्यापक पैमाने पर होने का खुलासा हुआ है। लेकिन उनकी टीम वर्ष 2010 के रिकार्ड खंगालेंगे। उन्होंने बताया कि सरकारी आंकड़ों के आधार पर प्रथम दृष्टया यह घोटाला 15 करोड़ से अधिक होने की संभावना है। रिकार्ड जांच के बाद हीं इस घोटाले का असली रूप सामने आयेगा। उन्होंने घोटाले की राशि 15 करोड़ से अधिक भी होने की संभावना जतायी है। मौके पर एसपी ने तमाम बैंक कर्मियों से जांच में मदद करने की भी अपील की है।
ज्ञात हो कि चार माह पूर्व गुप्त सूचना के आधार पर एसपी के निर्देश पर पुलिस ने फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले 70 वर्षीय मुंशी साहेब लाल को गिरफ्तार करने में सफलता पायी थी। जिस समय मुंशी को गिरफ्तार किया था उस समय उनके पास से दर्जनों पदाधिकारियों के मुहर एवं कई तैयार फर्जी दस्तावेज की बरामदगी हुई थी। मुंशी ने एसपी के खुलासा किया था कि केसीसी ऋण समेत आधा दर्जन से अधिक ऐसे सरकारी योजना है जिनमें उनके द्वारा तैयार दस्तावेज लगाकर बिचौलिये ऋण की उगाही करते है। यह मामला उजागर होने के बाद पलासी, जोकीहाट, अररिया, भरगामा आदि प्रखंडों के लोग सामने आये और बताया कि बिना ऋण लिये हीं बैंक उनके नाम से नोटिस भेज रहे हैं। मुंशी के निशानदेही पर ही एसपी ने जीरोमाईल स्थित महतो ट्रैडर्स में छापा मारकर लाखों रुपये के कृषि संयत्र जब्त करने में सफलता पायी। बताया जा रहा है कि फर्जी दस्तावेज गिरोह का मुख्य सरगना हारुण ही है जो एक संगठित गिरोह बनाकर किसानों के नाम पर करोड़ों का अनुदान हड़प लिया।

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