Wednesday, May 23, 2012

अररिया की गलियों में गूंजती नागराज की फुंफकार


कुसियारगांव(अररिया) : वनों से आच्छादित रहे अररिया की गलियों में आज भी नागराज की फुंफकार गूंजती है। आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि जिले में नागराज का राज आज भी कायम है। एक साल के दौरान नागराज ने यहां के 369 लोगों को अपना शिकार बनाया। इसमें सर्वाधिक प्रभावित इलाका फारबिसगंज का रहा जहां 120 लोग इसके शिकार हुए।
उत्तर बिहार में अररिया वनों से सर्वाधिक आच्छादित रहने वाला जिला माना जाता रहा है। यहां पेड़-पौधों की अधिकता के साथ-साथ जीव-जंतु की पर्याप्त संख्या में पाए जाते रहे हैं। कहते हैं कभी यहां अजगर सहित कई प्रकार के सांपों की प्रजाति पायी जाती थी। समय बदला और लोगों की आबादी बढ़ी। आबादी का असर वनक्षेत्र और यहां रहने वाले जीव-जंतुओं पर पड़ा। अब यहां यदा-कदा ही अजगर जैसे सांपों के मिलने की सूचना मिलती है। यद्दपि विषैले सापों आज भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। बीते एक साल के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां 369 लोग सर्पदंश के शिकार हुए। नागराज ने फारबिसगंज के लोगों को एक साल में सबसे अधिक शिकार बनाया। जबकि जोकीहाट, सिकटी और भरगामा में नागराज की एक ना चली। सिविल सर्जन डा. हुस्न आरा बताती हैं कि सर्पदंश की दवाएं अस्पताल में उपलब्ध है।
आंकड़े
प्रखंड प्रभावित लोग
फारबिसगंज - 120
कुर्साकांटा - 88
जोकीहाट - 00
नरपतगंज - 38
पलासी - 11
सिकटी - 00
रानीगंज - 09
अररिया - 103
भरगामा - 00

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