Wednesday, June 6, 2012

एक दर्जन गांव में खूनी संघर्ष की स्थिति


भरगामा (अररिया) : भरगामा प्रखंड क्षेत्र में भू-विवाद एक जटिल समस्या बन गई है। खुद प्रशासन का मानना है कि अगर समय रहते ऐसे मामलों को सुलझाया नहीं गया तो विवाद की आग में पूरा इलाका झुलस सकता है।
भरगामा थाना पुलिस ने भू-विवाद के गंभीर समस्या से जिला प्रशासन समेत बिहार सरकार को भी पत्र प्रेषित कर स्थिति से अवगत करवाने की बात कही है। इस पत्र में विवाद के निकट भविष्य में उग्र रूप लेने की आशंका भी जाहिर की गयी है। थाना पुलिस द्वारा समर्पित रिपोर्ट के मुताबिक सिरसिया कला पंचायत के गम्हरिया गांव में यादव, उरांव व भगत समुदाय के बीच भू-विवाद को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है। रघुनाथपुर दक्षिण पं. में अत्यंत पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जनजाति के बीच जबरदस्त विवाद है। इसी विवाद में वर्ष 2000 में एक हत्या भी हो चुकी है। इसी पंचायत में 07 एकड़ जमीन को लेकर यादव व महादलित समुदाय के बीच खूनी संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। इसी तरह मानुलह पट्टी पंचायत में यादव एवं महादलित के बीच तथा एक अन्य मामले में अत्यंत पिछड़ा वर्ग व महादलित के बीच पैकपार पंचायत में महादलित व राजपूत समुदाय के बीच, गजबी गांव में यादव समुदाय व मुस्लिम तथा एक अन्य मामले में मुस्लिम व मुस्लिम के बीच कम से कम 13 एकड़ जमीन को लेकर खूनी संर्घष की स्थिति है। इसी तरह बैजू पट्टी गांव में महादलित व मुस्लिम के बीच, नया भरगामा पंचायत में कुम्हार व मुस्लिम के बीच भी टकराहट की स्थिति भू-विवाद को लेकर बनी हुई है। वहीं टपड़ा, तिनकोनवां, खजुरी मिलीक, पैकपार के साथ सिरसिया कला आदि पंचायत के केवल जमीन विवाद के ऐसे मामले भी हुए जिसे पुलिस, प्रशासन व प्रतिनिधियों ने काफी सूझ-बूझ के साथ निष्पादन किया। पुलिस की अगुवाई में स्थानीय प्रशासन व प्रतिनिधियों द्वारा किए गए सार्थक प्रयासों की समाज में जबरदस्त सराहना भी हुई। पुलिस के मुताबिक ऐसे मामलों में विभिन्न पक्षों में पांच दर्जन से उपर मुकदमा दर्ज कराया गया। थानाध्यक्ष भरगामा अनमोल कुमार ने बांकी मामलों या फिर जमीन विवाद मामले के प्रति जिम्मेदार अधिकारियों को ऐसे मामलों के प्रति उदासीन बताया है। उन्होंने कहा कि दीवानी आदि मामले में राजस्व कर्मचारी ने दो-दो या तीन-तीन व्यक्तियों के नाम से एक ही जमीन का राजस्व चलान काट दिया गया है जो विवाद का अहम कारण है। इसी तरह बासगीत पर्चा को अधिकांश बार अलग-अलग लोगों के नाम से पंजीकृत करना आदि भी है। जबकि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई को लेकर जिला पुलिस बल तक लाचार है।

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