Wednesday, June 6, 2012

इंदिरा आवास: मैले आंचल की सूनी आंखों का अधूरा ख्वाब


अररिया : कोसी प्रताड़ित मैला आंचल की जमीन पर बेहद उसर खेतों में कुछ खूबसूरत फूल खिलते हैं जो बस दो चार दिनों में ही बिखर जाते हैं। जैसे यहां के ग्रामीण चेहरों की खुशी, जो बस कुछ पलों के लिए ही आती है। सरकारी इंदिरा आवास योजना ने यहां के गांवों में ऐसी ही क्षणिक खुशी लायी थी। सूनी आंखों में कुछ पल के लिए पक्के आवास के ख्वाब तैरे और फिर कमीशनखोरी की अंधी गलियों में गुम हो गये। सब देखते रहे। बिचौलिए व दलालों ने खूब सक्रियता दिखायी और प्रशासन तटस्थ बना रहा। डेहटी पैक्स घोटाले को देखें तो कहीं कहीं तो प्रशासन का एक हिस्सा कमीशन के खेल का 'लुटेरा' पक्ष भी बना।
दरअसल यहां के गांवों में पक्का आवास भाव शून्य आंखों का ऐसा सपना है जो भ्रष्टाचार, दलाली, कमीशनखोरी व प्रशासनिक उदासीनता के भंवर में पड़कर अक्सर पूरा होने से पहले ही बिखर जाता है।
इंदिरा आवास योजना इस जिले में नब्बे के दशक के मध्य में प्रारंभ हुई तथा वर्ष दो हजार के बाद से परवान चढ़ी। प्रारंभ में अजा व अजजा समुदाय के लोगों के लिए ही इसकी व्यवस्था थी। लेकिन बाद में अन्य समुदायों के लोग भी शामिल किए गये। लिहाजा, समाज का दलाल तबका इस योजना के नाम पर कमीशनखोरी के खुले खेल में शामिल हो गया। इन दलालों ने, जिनमें 2001 के बाद कई पीआरआई प्रतिनिधि भी शामिल हो गये, प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों को कमीशन की जड़ी सुंघाकर अपने वश में कर लिया। इसी तबके ने डेहटी पैक्स जैसे घोटाले को अंजाम दिया और गरीबों के आवास के नाम पर आयी करोड़ों की राशि बगैर ढकार के गटक ली।
जानकारों की मानें तो विगत दो दशक के दौरान इस जिले में ग्रामीण आवास के नाम पर तकरीबन पांच सौ करोड़ की राशि आयी है। लेकिन पूरे जिले में घूम जाइए कहीं एक अदद इंदिरा आवास पूरा नहीं मिलेगा।
इस मुद्दे को दैनिक जागरण द्वारा उठाये जाने के बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ तथा डेहटी पैक्स व अन्य घोटाले में संलिप्त लोगों पर नकेल कसी गयी। लेकिन गरीबों के आवास तो नहीं ही बने न।
जिले में इंदिरा आवास योजना लंगड़ाती हुई चलती रही। वर्ष 2004 व उसके बाद आपदा के नाम पर आयी आवास राशि की भी बंदरबांट कर ली गयी। आज स्थिति यह है कि नदी के कटान से पीड़ित एक हजार परिवार, अग्निपीड़ित लगभग दो हजार परिवार व सैकड़ों कालाजार पीड़ित परिवारों को प्रावधान के बावजूद पक्के आवास नहीं मिले हैं।
इधर, प्रशासन ने लगभग चालीस हजार परिवारों के लिए पक्के आवास देने की योजना पर अमल प्रारंभ किया है। डीडीसी प्रभात कुमार महथा की मानें तो लक्षित बीपीएल परिवारों को आवास देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है। बहरहाल आवास का सपना पूरा होगा या नहीं यह तो समय ही बतायेगा।
बाक्स: इंदिरा आवास नहीं बनने के प्रमुख कारण:
-लक्ष्य समूह के बीच जागरूकता की कमी एवं निरक्षरता
-योजना में व्याप्त कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार
-पंचायत से जिला स्तर तक दलालों बिचौलियों की सक्रियता
-सार्थक सामाजिक हस्तक्षेप की कमी
-योजना के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के प्रति प्रशासन की उदासीनता
-सरकारी दफ्तरों में आवास योजना के अभिलेख संधारण में लापरवाही
-प्रखंड व जिला स्तर पर डाटा बेस का अभाव
-विभिन्न स्तरों पर स्वार्थ प्रेरित राजनीतिक हस्तक्षेप
-लक्ष्य समूह के बीच आवास के नाम पर सिर्फ पैसों के प्रति ललक

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