फारबिसगंज (अररिया) : सीमांचल में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाएं छलावा मात्र है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में मरीजों की जान सांसत में रहती है। स्थिति यह है कि जिले में बिना एनस्थेसिया के विशेषज्ञ चिकित्सक के ही परिवार नियोजन के आपरेशन जान जोखिम में डालकर किए जाते रहे है। इससे भी बड़ी बात यह है कि स्वास्थ्य सेवा के हालात इतने खराब हो गये कि परिवार नियोजन के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचने वाली महिलाएं भी बड़ी संख्या में वापस कर दी गयी।
सरकारी अस्पतालों ने मुफ्त में परिवार नियोजन का आपरेशन करने से जनवरी-फरवरी माह में हाथ खड़े कर दिए थे। जिसके बाद आपरेशन के लिए अस्पताल पहुंच रहे महिला-पुरुष सीमापार नेपाल की ओर रुख कर लिया। जबकि इससे पहले स्थिति यह थी कि नेपाल के मरीज तक यहां के अस्पतालों में परिवार नियोजन का आपरेशन कराने पहुंचते है। दिसंबर 2011 के बाद इस आपरेशन की प्रोत्साहन राशि जिला में काफी विलंब से सीमित मात्रा में दी गयी। जनवरी-फरवरी में जो थोड़ा-बहुत आपरेशन अस्पतालों में हुआ उसमें काटन-बैंडेज से लेकर अन्य दवाइयों तक के खर्च मरीजों ने खुद वहन किये। प्रोत्साहन राशि 600 रु. मिलने की भी आस टूटती दिखी। एनस्थेसिया विशेषज्ञ की कमी को ढ़ंकने के लिए विभाग ने जिले में दो चिकित्सकों को इसका प्रशिक्षण दिलवाया। परंतु दो प्रशिक्षित लोग पूरे जिले के अस्पतालों को कैसे संभालतें होंगे यह सोचने की बात है। सिविल सर्जन हुस्न आरा कहती है कि एनेस्थेसिया के विशेषज्ञ चिकित्सक जिला में एक भी नही है। दो लोगों को इसके लिए प्रशिक्षित कर काम चलाया जा रहा है। वे मानती है कि चिकित्सक अपने रिस्क पर परिवार नियोजन का आपरेशन करते है। अगर कोई केस खराब हो जाये तो लेने के देने पड़ सकते हैं। इधर फारबिसगंज के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. हरिकिशोर सिंह ने भी माना कि जनवरी-फरवरी माह में दवा एवं फंड नहीं रहने के कारण महिलाएं वापस लौटी अन्यथा परिवार नियोजन आपरेशन के आंकड़े अधिक होते। हालांकि उन्होंने कहा कि बाद में फंड उपलब्ध हो गया था।
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