Monday, June 4, 2012

कचरापेटी : कूड़ा निस्तारण या कचरा विस्तारण


अररिया : शहर में कूड़ा कचरा निस्तारण के लिए नगर परिषद ने तमाम शोरगुल के बाद कचरा पेटियां खरीदी और उन्हें प्रमुख स्थानों पर इस तरह प्रतिस्थापित कर दिया गया कि उनमें कचरा नहीं कोई कीमती वस्तु रखी जायेगी। लेकिन ताजा स्थिति यह है कि कई जगहों पर पेटी टूट गयी है और कचरा बाहर सड़क पर फैला रहता है तथा उनसे दुर्गध का भभूका उठता रहता है। ऐसा प्रतीत होता है कि नगर परिषद ने कचरों के निस्तार नहीं इसके विस्तार के लिए ही पेटियां लगायी थी।
वस्तुत: कचरों का निष्पादन इस शहर के लिए एक समस्या रही है। पहले नगर परिषद के पास सफाई कर्मियों व संसाधनों की कमी थी, अब शायद इच्छा शक्ति की कमी है। खास कर व्यस्त मुहल्लों में सड़क पर कचरों का विस्तार एक समस्या बन गयी है।
शहर की आबादी के आंकड़ों पर गौर करें तो विगत पचास साल में यह पैंतीस गुना बढ़ी है। जाहिर है कि प्रति व्यक्ति कचरा उत्सर्जन की दर भी बढ़ गयी है। वहीं, जिला मुख्यालय होने की वजह से तकरीबन पचास हजार की फ्लोटिंग आबादी हर रोज शहर में आती जाती है। इस कारण कचरों का क्वांटम भी लगातार बढ़ रहा है। लेकिन इन सबके बावजूद नगर परिषद के पास कचरा प्रबंधन को लेकर कोई ठोस प्लानिंग नहीं नजर आती। शहर में कचरा प्रबंधन के लिए बुआरीबाध के सुदूर मुहल्ले में जमीन खरीदी गयी। लेकिन यह भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी का शिकार बनकर रह गयी। इस मुद्दे को दैनिक जागरण ने प्रमुखता के साथ उठाया। मामले में आरोप प्रत्यारोप के बाद जिला प्रशासन ने जमीन का निबंधन कैंसिल कर दिया और कचरा प्रबंधन की मंशा कचरे में मिल गयी।
बड़े शहरों में कचरा प्रबंधन रोजगार व सफाई के प्रमुख केंद्र के रूप में होता है, लेकिन अररिया में ऐसा नहीं है। यहां की आधी आबादी आज भी खुले में शौच करती है। शहर के भीतरी मुहल्ले आज भी गंदगी और बदहाली झेलने को मजबूर हैं। यह शायद नगर परिषद की नजर में नहीं है। यहां नगर परिषद का सफाई रथ नहीं पहुंचता। आप किसी शहर में स्वच्छता व सफाई की उम्मीद कैसे कर सकते हैं, जहां एक भी सार्वजनिक शौचालय कार्यरत नहीं हो। अररिया में ऐसा ही है। शहर में दो एक सार्वजनिक शौचालय खुले भी तो वर्तमान में वे अकार्यरत हैं।
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबंध के बारे में कई बोर्ड शहर में दिखते हैं। लेकिन प्लास्टिक थैलों का प्रयोग धड़ल्ले से होता है। ये थैले कचरों के विस्तार का प्रमुख कारण हैं। शहर में दो एक सफाई नाले अगर काम भी करते हैं तो प्लास्टिक थैलों की वजह से उनके अक्सर जाम होने की समस्या सामने आती रहती है।

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