Wednesday, June 6, 2012

टाइगरलैंड में दोबारा लौटेगी हरियाली


अररिया : घने जंगल व दुर्लभ वन्य प्राणियों की अधिकता के कारण डेढ़ सौ साल पहले अंग्रेजों ने अररिया को टाइगरलैंड की संज्ञा दी थी। लेकिन लगातार जंगलों की कटाई व बढ़ती जन संख्या के दवाब के कारण इलाका वृक्षविहीन होता चला गया। अब वन विभाग तथा हरियाली के संरक्षण में लगे लोगों ने जिले को दोबारा हरा भरा करने की ठान ली है। इस साल अररिया में 21 किमी लंबा ग्रीन बेल्ट बनेगा तथा छह लाख से अधिक पौधे लगाये जायेंगे।
दूसरी तरफ जिले में कार्यरत निजी व सरकारी नर्सरियों की मदद से पेड़ों से प्यार करने वाले आम लोग भी बड़ी संख्या में वृक्ष लगाने में जुटे हैं।
अररिया के वन प्रमंडल पदाधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि इस साल नेपाल सीमा पर बसे इस इलाके में छह लाख 48 हजार नये पेड़ लगाये जायेंगे। जिनमें से 44 हजार पेड़ किशनगंज जिले में लगेंगे। उन्होंने बताया कि इस बार इस इलाके से गुजरने वाले राजमार्गो के तट पर 21 किमी लंबा ग्रीन बेल्ट विकसित किया जायेगा।
डीएफओ श्री सिंह के मुताबिक इस वर्ष ग्रीष्म प्लांटेशन के तहत 2.27 लाख पेड़ लगाये जायेंगे। वहीं, इससे पहले स्प्रिंग प्लांटेशन के दौरान 1.53 पेड़ लगाए जा चुके हैं। वृक्षों की प्रजाति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि स्प्रिंग प्लांटेशन में मुख्य रूप से सागवान, शीशम, महोगनी जैसी टिंबर स्पेसी के प्लांट लगाए गये हें, जो आगे चलकर जिले के लिए एक बड़ा एसेट साबित होंगे।
डीएफओ श्री सिंह ने बताया कि इस साल जिले में चार सरकारी नर्सरियां कार्यरत हैं। ये करियात, बथनाहा, रानीगंज वृक्ष वाटिका तथा नरपतगंज बागवानी मिशन की भूमि पर लगायी गयी हैं। इसके पहले विगत साल कुसियारगांव, आजमनगर, सैफगंज परवाहा, हड़िाबाउ़ा, सिमराहा, रहिकपुर आदि जंगलों का पुनस्र्थापन किया जा चुका है। इधर, दैनिक जागरण द्वारा पर्यावरण को लेकर चलाए गए अभियान के बाद निजी तौर पर भी लोग बड़ी संख्या में पेड़ लगाने के प्रति प्रेरित हुए हैं। इसके तहत जिले में कार्यरत तकरीबन दो सौ निजी नर्सरियों का योगदान अमूल्य रहा है। उन्होंने वृक्षों की कई नयी प्रजातियों के बोर में लोगों को बताया तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न की है।
बहरहाल इन प्रयासों से ऐसा प्रतीत होता है कि कभी टाइगरलैंड कहा जाने वाला यह इलाका अब जंगलों के लिए नहीं रोएगा।

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