Friday, June 1, 2012

नेपाल और बंगाल के आक्सीजन पर टिकी अररिया की सांस


फारबिसगंज (अररिया) : जिले के लोगों की सांस नेपाल और बंगाल के आक्सीजन पर टिकी है। दरअसल जिले में लचर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण जिले के अधिकांश मरीज सिल्लीगुड़ी और विराटनगर रेफर हो रहे हैं।
सीमावर्ती क्षेत्र के जिले की इस स्थिति का खुलासा बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ की रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में सीमांचल में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं को काफी अपर्याप्त बताया है। निजी क्षेत्र के अस्पतालों में भी मामूली रूप से गंभीर मरीजों के लिए जरूरी सुविधा नहीं है। जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य कर्मियों की घोर कमी है। जिले में चिकित्सकों के स्वीकृत पदों की संख्या करीब 117 है। जिसमें से मात्र 40 चिकित्सक पदस्थापित हैं। इसके अलावा संविदा पर बहाली के 36 पद है जिसमें से मात्र 17 चिकित्सकों की फिलहाल बहाली हुई है। पारा मेडिकल स्टाफ का घोर अभाव है। जिले के एक भी सरकारी अस्पताल के आपरेशन थियेटर में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी नहीं हैं। अप्रशिक्षित कर्मियों से ही ओटी में आपरेशन जैसे जीवन रक्षक कार्य किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के लाले पड़े हुए हैं। जिले में एक भी महिला विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। सबसे बड़ी मुसीबत ट्रोमा के मरीजों के लिए है। हृदय रोगी और दुर्घटना में जख्मी मरीजों को यहां बचाने के लिए आधारभूत सुविधा भी नहीं है। सरकारी-निजी अस्पतालों से ऐसे मरीजों को जिले से बाहर विराटनगर अथवा सिल्लीगुड़ी भेजने के अलावा कोई उपाय नही है। दुर्घटनाओं में जख्मी मरीज खास हेड इंज्यूरी के मरीजों को बचाने के लिए जिले में काई व्यवस्था नहीं है। जबकि ट्रोमा के गंभीर मरीजों को बचाने के लिए शुरू में ही आईसीयू, खून, एनेस्थेटिस्ट सहित डाक्टरों की एक टीम की जरूरत पड़ती है। यहां के ट्रोमा के मरीजों से ही विराटनगर के अस्पताल चल रहे हैं। जिले में ब्लड स्टोरेज सेंटर बनाये गए जो यहां के मरीजों के लिए लाभकारी साबित नहीं हुआ। जिले में एक्स-रे करने वाले रेडियोलाजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट, न्यूरो स्पेशलिस्ट, हर्ट स्पेशलिस्ट एक भी नही है। जिले में सर्जन, फिजीशियन आर्यो (हड्डी) तथा बच्चों के मात्र एक-एक चिकित्सक हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक वीआरएस लेकर नौकरी से निकल रहे है।
सिविल सर्जन- हुस्न आरा
सीएस हुस्न आरा मानती है कि मामूली रूप से गंभीर मरीजों को भी यहां से रेफर किया जाता है। इसके लिए चिकित्सकों, कर्मियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर की घोर कमी को कारण बतायी। उन्होंने कहा कि चिकित्सक रिस्क लेकर इलाज कर रहे है। अस्पतालों में आवश्यक उपकरण नही है, प्रशिक्षित टेकनिशियन का अभाव है। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी स्वास्थ्य सुविधाओं को अस्पतालों में मुहैया कराया गया है।

1 comment:

  1. ye such hai forbesganj me na hi koi doctor thik hai na hospital. patient ko oxigen ki jarurat ho to bhi pata nai hospital me hoga ya nahi sochna padta hai.

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