Tuesday, May 29, 2012

प्राच्य विद्या का विज्ञान से समन्वय आवश्यक: कुलपति


अररिया : अगर भारत को फिर से विश्व सिरमौर बनाना है तो प्राच्य विद्या का विज्ञान के साथ समुचित समन्वय करना आवश्यक है। यह बात कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अरविंद कुमार ने कही। वे जिले के एकमात्र संस्कृत कालेज अनंत लाल संस्कृत महाविद्यालय का निरीक्षण करने के बाद बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि अब कर्मकांडी पंडितों व वास्तु विशेषज्ञों की किल्लत नहीं होगी। संस्कृत विश्वविद्यालय पंद्रह विषयों में वोकेशनल पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है।
कुलपति ने कहा कि मिथिलांचल सहित पूरे बिहार में संस्कृत शिक्षा एक सामाजिक विशेषता रही है। लेकिन बदलते परिवेश के साथ समन्वय नहीं हो पाने के कारण इसके प्रति लोगों की रुचि में कमी आयी है। इसीलिए विश्वविद्यालय ने पंद्रह विभिन्न विषयों में व्यवसायिक पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में आवश्यक औपचारिकताएं पूरा की जा रही हें तथा अगले सत्र से इन विषयों की बाकायदा पढ़ाई प्रारंभ कर दी जायेगी। इन विषयों में कर्मकांड, हस्तरेखा शास्त्र, वास्तुशास्त्र, ग्रह रत्‍‌न विज्ञान, मौसम विज्ञान, पुस्तकालय साइंस, कंप्यूटर साइंस, आयुर्वेद, शिक्षा शास्त्र, वैद्यक, आयुर्वेद कल्प, न्यासयोग आदि शामिल हैं।
कुलपति ने बताया कि बिहार के पंद्रह उपशास्त्री महाविद्यालयों को अपग्रेड करने के लिए सिंडिकेट से प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। वहीं, राज्य सरकार ऐसे सभी कालेजों में अतिरिक्त पक्का भवन भी देने जा रही है। उन्होंने कालेज में शास्त्री की पढ़ाई जल्द शुरू करने के लिए भी आश्वस्त किया।
कुलपति के साथ छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष डा. जितेंद्र कुमार, प्राक्टर अश्रि्वनी कुमार शर्मा, खेल पदाधिकारी अवधेश कुमार शर्मा, वित्त पदाधिकारी केदार नाथ सिंह, विधि पदाधिकारी डा. रीता सिंह, कुलपति के निजी सहायक पंकज कुमार झा, पीआरओ निशिकांत, कालेज के विश्वविद्यालय प्रतिनिधि डा. अनिल कुमार ईश्वर सहित अन्य लोग मौजूद थे।
इस अवसर पर भाजपा नेता सह विश्वविद्यालय के सीनेटर नारायण झा ने कुलपति डा. पांडेय को पुष्पगुच्छ प्रदान कर उनका स्वागत किया। मौके पर कालेज के प्रधानाचार्य पं.दीनानाथ झा ने कुलपति व अन्य अतिथियों को माला पहना कर उनका स्वागत किया।
फोटो-28 एआरआर 8
कैप्शन- डा. रीता सिंह
स्ट्रेस मैनेजमेंट समय की मांग
अररिया, जाप्र: कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की विधि पदाध्किारी डा. रीता सिंह ने कहा है कि बदलती जीवन शैली में तनाव प्रबंधन (स्ट्रेस मैनेजमेंट) बेहद जरूरी हो गया है। संस्कृत विश्वविद्यालय इस दिशा में लोगों की मदद को सजग है। विश्वविद्यालय में स्ट्रेस मैनेजमेंट को बतौर एक विषय शामिल किया जा रहा है।
इसमें आध्यात्मिक चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से तनाव मुक्ति के गुर बताये जायेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रों में दुनिया की हर तकलीफ के निवारण की विधि बतायी गयी है। जरूरत उन्हें खोज निकालने की है।

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