अररिया : घोटालों के लिए कुख्यात हो चुके इस जिले में एक और घोटाला गर्भावस्था में है। शायद यह जल्द सबके सामने आ जाये। यहां स्कूलों में पानी के नाम पर तकरीबन सवा करोड़ की राशि पानी में डाल दी गई। यह कारनामा एमएसडीपी योजना मद में किया गया है। एमएसडीपी योजना मद से डीएम के निर्देश पर जिले के 373 मध्य व प्राथमिक विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के लिए टेरा फिल्टर लगाने की योजना बनी। एक टेरा फिल्टर की लागत 33 हजार थी। इस हिसाब से तकरीबन सवा करोड़ रुपये इस पर सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से खर्च कराया गया। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि आज एक भी विद्यालय में टेरा फिल्टर चालू अवस्था में नही है।
जानकारों की मानें तो इस घोटाले की जड़ में टेरा फिल्टर लगाने की चयन प्रक्रिया में ही गड़बड़ी प्रमुख कारण रही है। इसे विद्यालय शिक्षा समिति के बजाय तत्कालीन डीएसई द्वारा चयनित एजेंसी से लगवाया गया। एजेंसी ने घटिया सामग्री का उपयोग कर टेरा फिल्टर लगाए और सारे पैसे का उठाव कर लिया। हालांकि डीईओ 60 प्रतिशत टेरा फिल्टर चालू रहने का दावा कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यही है कि तकरीबन सारे फिल्टर अकार्यरत हैं। सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन द्वारा भी मामले की जांच करवायी गयी, जिसमें ढेर सारी गड़बड़ियां पायी गयी। अररिया नप अंतर्गत उमवि रहिका टोला में टेरा फिल्टर गायब हैं। बताया जाता है कि चोरी होने के बाद अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज करायी गई। प्रावि जमुआ में टेरा फिल्टर लगा या नहीं इसकी सूचना कहीं नही है। जबकि एमएसडीपी मद से बेंच डेस्क के लिए दिए गए 50 हजार की राशि व टेरा फिल्टर का 33 हजार रुपया प्रावि लहटोरा में भवन निर्माण कार्य में लगा दिया गया। नरपतगंज के मवि फतेहपुर, मवि फतेहपुर पिठौरा में टेरा फिल्टर बंद है। उमवि बेला में भी यही स्थिति है। वहीं उमवि नाथपुर कुरमी टोला में टेरा फिल्टर की राशि आज तक स्कूल को नही मिला है। यह कुछ ऐसे स्कूलों का उदाहरण है जहां टेरा फिल्टर के नाम पर गड़बड़ियां हुई है। एमएसडीपी योजना में बेंच-डेस्क आपूर्ति के लिए दी गई राशि में भी खूब बंदरबाट किया गया है। आम लकड़ी के बजाए घटिया किस्म के लकड़ी का बेंच-डेस्क बनवाकर उसपर प्राइमर रंग चढ़ाकर राशि निकासी की गई। बताया जाता है कि मवि बसमतिया, उमवि बेला, कन्या प्रावि चन्द्र्रेई, प्रावि लहटोरा आदि में आज भी बेंच-डेस्क टूटा पड़ा है। यह मुद्दा मंगलवार को आयोजित बैठक के दौरान प्रभारी डीएम के समक्ष भी उठा।
जानकारी के अनुसार बेंच-डेस्क के लिए प्रशासन ने प्रावि को 50 हजार व मवि को 80 हजार रुपया आवंटित किया था। कुल मिलाकर एमएसडीपी योजना से टेरा फिल्टर के नाम पर एक करोड़ 9 लाख, बेंच डेस्क के नाम पर एक करोड़ 23 लाख रुपया का घालमेल किया गया है। इस संबंध में प्रभारी डीएम सह डीडीसी प्रभात कुमार महथा की मानें तो चालीस फीसदी टेरा फिल्टर खराब हैं जिनकी मरम्मत विद्यालय प्रधान के द्वारा करवायी जा रही है। उन्होंने बताया कि टूटे बेंच, डेस्क की मरम्मत के बाद ही फाइनल भुगतान किया जायेगा। ऐसा नही करने वालों पर एफआईआर दर्ज करायी जायेगी।
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