Friday, February 4, 2011

हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे अधिकारी


अररिया : सरकार द्वारा प्रशासनिक सुधारों के लिए किये जा रहे प्रयासों के बाद भी बिहार स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाई विभाग में अनियमितताओं का दौर थम नहीं पा रहा है। यहां तक कि उच्च न्यायालय के आदेशों को भी ठेंगा दिखाने से विभागीय अधिकारी नहीं चूकते। जन वितरण प्रणाली अंतर्गत बीपीएल अंतर्गत अनाज पहुंचाने के उद्देश्य से जिलों में परिवहन सह हथनमन अभिकर्ता की नियुक्ति में अनियमितता के बाद हाई कोर्ट ने एक साल के अंदर पुन: निविदा निकाले जाने का आदेश दिया था। लेकिन डेढ़ साल बाद भी पुराने अभिकत्र्ता से ही काम लिया जा रहा है।
इसके बाद 30.08.10 को पुन: निविदा निकाली गयी। परंतु उसमें त्रुटि दर्शा कर उसे रद कर दिया गया। इसके चार माह बाद 23 दिसंबर 10 को पुन: टेंडर निकला गया। किंतु उसे 31 जनवरी को खोला गया। परंतु उस निविदा में भी विभागीय अनियमितता की बू मिलते ही जिले के कर्तव्यनिष्ठ जिलाधिकारी एम. सरवणन ने पुन: निष्पक्ष रूप से निविदा निकालने की चेतावनी दी। जिलाधिकारी का स्पष्ट कहना था कि विभाग एक पक्ष को लाभ देने की नियत से कार्य कर रहा है। इस तरह विभागीय मनमानी के कारण उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी साल भर बीत जाने के बावजूद परिवहन की निविदा अधर में लटकी है।
इस संबंध में एसएफसी के जिला प्रबंधक देवचंद्र मिश्रा ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश पर दो बार निविदा निकाली गयी किंतु तकनीकी त्रुटि के कारण उसे रद किया गया है। जिसे शीघ्र ही निकाला जायेगा।
जिले के परिवहन अभिकत्र्ता की नियुक्ति के लिए 26 मई 2009 को निविदा निकाली गयी थी। जिसमें पांच लोगों ने टेंडर डाला था। जिसके बाद ओम प्रकाश सिंह को अभिकत्र्ता नियुक्त किया गया। किंतु इसमें धांधली की गयी। जिसके बाद न्यूनतम दर पर टेंडर डालने वाले एक अभिकत्र्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद कोर्ट ने विभाग को एक साल के अंदर दोबारा निविदा निकालने की चेतावनी विभाग को दी।

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