Friday, February 4, 2011

परिवारिक कलह की कहानी नहीं है महाभारत: साध्वी


अररिया : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के सौजन्य से शिवपुरी मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सुश्री विश्वम्भरा भारती ने प्रवचन के दौरान बताया कि महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित महाभारत में वर्णित पात्रों के द्वारा उन्होंने उस समय की स्थिति का दिग्दर्शन कराया है।
मुख्य वाचिका साध्वी विश्वम्भरा ने कहा कि उस समय की तरह आज भी चारों ओर हिंसा प्रतिहिंसा के प्रचंड लावे धधक रहे हैं। समाज की ईकाई मानव में हिंसा द्वेष जैसी कुत्सित भावनाओं का बोलबला हो गया है। देश के युवा वर्ग की ओर इशारा करते हुए साध्वी ने कहा कि युवाओं का बड़ा तबका पथभ्रष्ट होकर नशे का शिकार हो गया है। उन्हें न अपने देश की स्थिति का ज्ञान है और न हीं धरती माता के दर्द का भान है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मानव को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर पा रही है। घरेलू हिंसा, यौन शोषण, लिंग आधारित भेद-भाव, भ्रूण हत्या, सामाजिक क्षेत्र की कुत्सित सोच का परिचायक है। विश्वम्भरा भारती ने धार्मिक बातों का बखान करते हुए कहा कि आज अज्ञानता के हाथ में शक्ति रूपी खड्ग आ गया है जो विध्वंस का रक्त रंजित इतिहास बना रही है। इसके अतिरिक्त साध्वी ने देवर्षि नारद के पूर्वचरित्र के द्वारा नामकरण पद्धति की महानता से मानव समाज को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि जिन प्रभु ने उत्तरा की पुकार को सुना, जिन प्रभु ने भीष्म पितामह की प्रार्थना को स्वीकार किया है और आज भी अपने भक्तों की करुण पुकार सुनकर उसकी रक्षा के लिए दौड़े आते हैं। उन प्रभु की सृष्टि को सुंदर व कुरीति विहीन बनाए रखना प्रत्येक भक्त, मानव का परम क‌र्त्तव्य है। कथा के दूसरे दिन जिले के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। कथा के दूसरे दिन प्रवचन के दौरान संस्थान की साध्वी सर्वसुखी भारती, पूर्णिमा भारती, किरण भारती, हरिप्रीता भारती, मीनाक्षी भारती, हरि अर्चना भारती, स्वामी हरिश जी, स्वामी मधुर, स्वामी जसप्रीत, स्वामी राजदीप स्वामी हिमांशु, अप्रतिम माल्या भी मौजूद थे।
बाक्स के लिये
ज्ञान यज्ञ में नारी विमर्श पर रहा जोर
अररिया, निसं: विश्व में नारी की महत्ता सर्व विदित है और कोई भी समाज नारियों को स्थान दिये बिना प्रगति नहीं कर सकता। श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में बुधवार को साध्वी विश्वम्भरा जी का प्रवचन नारी विमर्श के उद्धरणों से ओतप्रोत रहा। खासकर जब उन्होंने द्रौपदी चीरहरण व उत्तरा के गर्भ का नाश करने के लिये कौरव दल की ओर से चले प्रक्षेपास्त्र प्रकरण के बारे में बताया तो उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गये।
साध्वी विश्वम्भरा जी ने महाभारत से द्रौपदी चीर हरण का प्रसंग लेकर समाज के सामने एक प्रश्न रख दिया। ..कोई हारा हुआ व्यक्ति अपनी पत्‍‌नी को दाव पर कैसे लगा सकता है? एक और सवाल यह कि पत्‍‌नी जब अद्र्धागिनी है तो वह अलग कैसे है कि उसे दाव पर लगा दिया जाय?
साध्वी ने लिंग विभेद, भ्रूण हत्या, यौन शोषण व नारी प्रताड़ना से जुड़े कई सटीक सवाल भी श्रद्धालुओं के समक्ष रखे।

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