Thursday, February 3, 2011

कथामृत पान से होता है सभी पापों का नाश: विश्वम्भरा


अररिया : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वाधान में शिवपुरी के मैदान में मंगलवार से वेद मंत्रोच्चार के बीच नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ प्रारंभ हो गया।
आयोजन का उद्घाटन प्रथम दिवस के यजमान विजय मिश्र, द्वारिका प्रसाद केडिया व मुख्य अतिथि सांसद प्रदीप सिंह ने ज्योति प्रज्वलित कर किया। आध्यात्मिक जागृति के प्रसार के लिए कथा का आयोजन संस्थान का एक विलक्षण प्रयास है। जिसमें प्रभु की अनंत लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से उजागर करने का उद्देश्य है। श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ की मुख्य वाचिका आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवत भास्कर साध्वी सुश्री विश्वम्भरा भारती ने प्रथम दिन अपने प्रवचन में श्रीमद्भागवत कथा का महात्म्य बताते हुए कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानव जाति तक पहुंचता रहा है। उन्होंने कहा कि 'भागवत महापुराण' उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है जो वेदों से बहकर चली आ रही है। साध्वी जी ने श्रीमद्भागवत महापुराण की व्याख्या करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत अर्थात जो श्री से युक्त है, श्री अर्थात चैतन्य, सौन्दर्य व ऐश्वर्य। 'भगवत: प्रोक्तम इति भागवत' अर्थात वह वाणी व कथा जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है। जो हमारे जीवन को सुंदर बनाती है वो श्रीमद्भागवत कथा है।
साध्वी विश्वम्भरा ने कहा कि यह एक ऐसी अमृत कथा है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसलिए परीक्षित ने स्वर्गामृत की बजाए कथामृत की ही मांग की। कथामृत का पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है।
इस भव्य आयोजन में साध्वी पूर्णिमा भारती, किरण भारती, हरिप्रीता भारती, श्रीया श्रुति भारती, नीतू भारती, मीनाक्षी भारती, हरि अर्चना भारती, सर्वसुखी भारती, स्वामी हरिश, स्वामी मधुर, व अन्य महात्मागण तथा विदूषियां उपस्थित हुई है।

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