अररिया : पानी में गया पानी का पैसा शीर्षक वाली खबर एक जून को जैसे ही प्रकाशित हुई कि शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों की नींद खुल गई। समाचार प्रकाशन के साथ ही जिला शिक्षा पदाधिकारी राजीव रंजन प्रसाद ने मामले की गहन जांच का आदेश दिया है। श्री प्रसाद ने सभी बीईओ को पत्र लिखकर एक-एक स्कूल जाकर टेरा फिल्टर की जांच कर रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। बीईओ के नाम जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल में भौतिक सत्यापन के दौरान टेरा फिल्टर में लगाये गए सामानों की गुणवत्ता भी जांचने का सख्त निर्देश है। इसके अतिरिक्त एमएसडीपी योजना मद से 372 स्कूलों में 32-32 बेंच-डेस्क का क्रय करना था। डीईओ ने पत्र में बेंच-डेस्क में प्रयोग किए गए लकड़ी के बारे में भी जानकारी एकत्र करने को कहा गया है।
ज्ञात हो कि एमएसडीपी योजना के तहत जिले के 372 विद्यालयों में बेंच-डेस्क व टेरा फिल्टर लगाने की योजना गत वर्ष चलाई गई। बेंच डेस्क के नाम पर प्रावि को 50 हजार व मवि को 80 हजार रुपया आम लकड़ी से 32 बेंच-डेस्क बनाने के लिए राशि आवंटित की गई थी। जबकि 33 हजार रु. प्रति स्कूल में टेरा फिल्टर लगाने के नाम पर एक करोड़ 9 लाख रुपया खर्च किया गया। लेकिन इस सरकारी राशि में जमकर बंदरबांट हुई।
अगर, मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो सरकारी राशि के दुरुपयोग का एक और मामला सामने आ सकता है।
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