कुर्साकाटा(अररिया) : पिछले दिनों हुई लगातार बारिस के कारण एक तरफ जहां जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है वहीं किसान खेतों में धान की रोपनी करने में दिन रात एक किये हुए है। सुबह होते ही किसान खेतों की ओर रवाना हो जाते है। धान के बिचड़े उखाड़कर उससे रोपनी करते है। सीमावर्ती इस क्षेत्र में सिंचाई का साधन नहीं होने के कारण बर्षा के पानी का अधिक से अधिक किसान उपयोग करना चाहते है। छोटे किसान हल बैल से एवं बड़े किसान ट्रैक्टर से खेत में गोरा लगाकर रोपनी का कार्य तेजी से कर रहे है। बर्षा रूकने की आशंका से चिलचिलाती धूप में भी महिलाएं, पुरूष एवं बच्चे भी अपने अपने खेतों में धान की रोपनी करने में जुटे है। ज्ञात हो कि वर्षा प्रारंभ होते ही इस क्षेत्र के किसान बकरा नदी के प्रकोप का भाजन भी कई वर्षो से झेलते आ रहे है। सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसलें बकरा नदी के भेंट चढ़ जाता है। बावजूद इसके किसान मन में आस संजोये खेतों में पंक्तिवद्ध होकर गीत गाती महिलाएं रोपनी कर रही हैं।
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