Wednesday, July 13, 2011
उपजाऊ जमीन जा रही नदी के गर्भ में, किसान हो रहे कंगाल
सिकटी (अररिया) : नेपाल के पहाड़ों से निकली बकरा नदी प्रखंड क्षेत्र के लोगों की जमीन का बड़ा हिस्सा अपनी गर्भ में समा लेती है जिससे हर साल यहां के किसान कंगाल हो रहे हैं। हर साज उपजाऊ जमीन के साथ साथ सैकड़ों एकड़ में लगी फसल भी बकरा नदी के गर्भ में समा जाते हैं। इस कारण काफी संख्या में किसान, जो कल तक अच्छी हैसियत वाले थे आज मजदूर बनकर रह गये हैं। पिछले वर्ष तीरा हाट के नजदीक बसे किसान बिसो बहरदार व भुटाय बहरदार आदि किसानों की जमीन नदी में कट गयी। इतना ही नहीं उनके घर तक नदी में विलीन हो गये, तब से आज तक वे लोग खानाबदोश सी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। भुटाय बहरदार ने नम आंखें से बताया कि हो.. बाबू सब आबै छय, कहै छय कि बसैय के लेल जमीन मिलतो लेकिन एक साल बीत गैले अभियो तक घर बनाबे लेल जमीन नैय मिललय। यह पीड़ा सिर्फ एक ही व्यक्ति का नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक लोगों का यही हाल है। जो तीरा हाट पर आदिवासी का जिंदगी जी रहे हैं। वहीं दूसरी और नेमुआ-पिपरा गांव के लोगों की जमीन भी नदी में जा रही है। वहीं सरकार द्वारा कटाव को रोकने के लिए कटाव स्थल बालू से भरे बोरे दिये गये हैं। आज भी यह स्थान कटाव के मुहाने पर है।
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