Sunday, July 10, 2011

बगैर नाव के कैसे होगी बाढ़ से जंग?

अररिया : जिला मुख्यालय के निकट तिरसुलिया घाट पर रोजाना पांच सौ से हजार यात्री नाव से नदी पार करते हैं। लेकिन यहां नाव की साइज देखियेगा तो भय लगेगा। उस नाव का भी परिचालन सैरातधारी के नाविकों के जिम्मे है। यात्रियों व पार होने वाले साइकिलों की संख्या के मद्देनजर नाव भी बेहद छोटी है। लोग इस पर जान जोखिम में डाल कर यात्रा करते हैं। कुछ हुआ तो कौन होगा जिम्मेवार?
वहीं, जिले के सुदूर इलाकों में तो ऐसी नावें भी उपलब्ध नही। शनिवार को एसडीओ के कार्यालय कक्ष में एसी कपिलेश्वर विश्वास की अध्यक्षता में हुई अंचलाधिकारियों की बैठक में तत्काल 97 नई नाव देने की मांग की गयी। अन्यथा ग्रामीण इलाकों में यातायात बरकरार रखना बेहद मुश्किल हो जायेगा।
चार पांच सप्ताह पहले उपमुख्यमंत्री को सौंपी गयी रिपोर्ट में कहा गया था कि जिले में 155 नावों की जरूरत है जिसमें से 75 नाव की खरीद के लिए प्रक्रिया जारी है। लेकिन विडंबना देखिए कि इन नावों को खरीदने के लिए कोई आवंटन ही उपलब्ध नहीं।
गौरतलब है कि नावों को ले प्रशासन अक्सर गलत दावे करता रहता है। तीन साल पहले कोसी के महा प्रलय के वक्त भी नाव को ले ऐसे ही दावे किये गये थे। लेकिन समय पर एक भी नाव उपलब्ध नहीं हुई, बाहर के जिलों से बोट मंगाकर काम चलाना पड़ा था।
बाक्स के लिए
जिले में नाव की उपलब्धता
प्रखंड नाव की उपलब्धता
जरूरत
अररिया 22 10
कुर्साकाटा 16 06
सिकटी 15 05
पलासी 14 06
जोकीहाट 30 10
रानीगंज 19 09
नरपतगंज 16 06
फारबिसगंज16 16
भरगामा 20 15

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