Thursday, March 15, 2012

कोई लौटा दे मेरे राकेश व रानी को



जानकीनगर (पूर्णिया) : परिवार में मासूम बच्चों के खोने का गम क्या होता है, यह कोई लालमुनि देवी, अनिता देवी से पूछे। रानी कुमारी का विवाह तय हो चुका था। 15 वर्षीय राकेश की भलमनसाहत, विन्रमता, आज्ञाकारिता आदि मानवीय गुणों की सभी प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। 8वीं कक्षा में पढ़ने वाला मृतक राकेश पढ़-लिखकर जिंदगी की ऊंचाईयों को छूना चाहता था, किंतु होनी को कौन टाल सकता है? परिवार में नरेंद्र की पत्‍‌नी अनिता देवी, नरेंद्र की 75 वर्षीय मां लालमुनि देवी सहित सभी महिलाएं अपने कलेजे को पीट-पीटकर चीत्कार करती रही। सैंकड़ों लोगों की भीड़ से कहती रही कोई लौटा दे मेरे जिगर के टुकड़ों को। मासूम बच्चों को खोने का गम वे सहन नहीं कर पा रही है। भावावेश में बोलती चली जा रही है, अब केकरा सहारे ई जिंदगी कटतै, बुझा गैले दीया। यह सुननेवालों का भी कलेजा छलनी कर देता है। बुधवार को सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत बाद मृतक के घर का ऐसा ही मार्मिक दृश्य देखने को मिला। 14 मार्च की सुबह ने उनके अरमानों को भी तार-तार कर दिया। परिजनों की आंखों से टपकते आंसू रूकने का नाम ही नहीं ले रहा था। जितेंद्र व नरेंद्र तथा हरेंद्र की बदहवास पत्‍‌नी चीत्कार कर कहती रही, आब रानी की शादी का अरमां रखले रह गैले, हो बाबू। परिजनों का दर्द छिपाते नहीं छिप रहा था। पूरा माहौल गमगीन है। संवेदन शून्य भाव से घर आते पड़ोस की महिलाओं व अन्य लोगों को देखकर सभी फफक-फफक कर रोने लगते हैं। 

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