कुर्साकांटा (अररिया) : गंगा में फैले प्रदूषण के बाद उसे स्वच्छ करने का अभियान तो शुरू हो गया है लेकिन नेपाल से निकलने वाली छोटी छोटी नदियां भी प्रदूषित हो रही हैं जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है। इन नदियों का प्रदूषित जल नदी किनारे बसे लोगों व मवेशियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। ऐसी ही एक नदी है बकरा। नेपाल से निकल कर सीमावर्ती प्रखंड क्षेत्र से होकर गुजरी इस नदी का जल काफी प्रदूषित हो गया है जिससे लोगों व मवेशियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। लोग तो फिर भी इस नदी जल का उपयोग करना बंद कर दिए हैं किंतु मवेशियों पर लगाम लगाना मुश्किल हो रहा है जिससे वे कई रोगों के शिकार हो रहे हैं।
गौरतलब है कि बकरा नदी का उदगम स्थल भी नेपाल स्थित पहाड़ ही है। कोसी के छाड़ के रूप में इस पहाड़ी नदी की अपनी पहचान है। नेपाल के विभिन्न शहरों से होकर गुजरी यह नदी सीमावर्ती भारतीय क्षेत्र के कुर्साकाटा, सिकटी व पलासी आदि प्रखंड क्षेत्र से गुजरती है। लेकिन नेपाल में विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र का कचरा इस नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। खासकर बीयर फैक्ट्री का उत्सर्जन इसे काफी प्रदूषित कर रहा है। विभिन्न फैक्ट्री का उत्सर्जित रासायनिक कचरा पानी को जहरीला भी बना देता है जिस कारण नदी का जल नीला एवं गंदगी युक्त हो गया है। इस पानी का उपयोग जब मवेशी करते हैं तो वे कई रोगों के शिकार हो जाते हैं। नदी किनारे बसे पशु पालकों को यह भय सताने लगा है कि यह जल कहीं उनके मवेशी का समूल न नष्ट कर दे।
पिछले करीब दस महीनों से नदी का जल अधिक प्रदूषित हो गया है। जबकि पूर्व में इस नदी से बहने वाला जल स्वच्छ हुआ करता था।
नदी किनारे बसे खुटहरा, तीरा, पररिया, पीरगंज, भूम पोखर, खारदह आदि गांव के लोग इस प्रदूषित जल से सिंचाई करने में भी कतराने लगे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि बीयर फैक्ट्री का गंदगी जिस दिन नदी में प्रवाहित किया जाता है उसके बाद तीनों दिनों तक नदी का जल नीला गंदगी युक्त एवं दुर्गध से भरा होता है। नदी किनारे बसे लोगों के लिए इस नदी का प्रदूषित एक समस्या बन गयी है।
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