Thursday, March 15, 2012

मूंग की खेती मृदा संरक्षण व रसायनिक गुणों में वृद्धि में सहायक


अररिया : कृषि प्रधान जिला अररिया में मूंग की खेती काफी लाभदायक साबित हो सकती है। सरकार ने इस ओर काफी ध्यान दिया है। जिले के 16839 एकड़ भूमि में लगाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों के बीच वितरित करने के उद्देश्य से 1355 क्विंटल मूंग का बीज अररिया को उपलब्ध कराया है। मूंग गुणवत्ता वाला प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत है।
क्या कहते हैं चिकित्सक-चिकित्सकों की मानें तो मूंग में 25 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है। इसे दाना के रूप में दाल, भूना तला दाल, हलवा, मिठाई के दाल का विविध व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। अररिया के चिकित्सक डा. आकाश कुमार राय व डा. सुदर्शन झा की माने तो मूंग के दानों को अंकुरण के बाद खाया जाय तो शरीर में अच्छी मात्रा में विटामीन सी बन जाता है। उनके अनुसार इसमें रिवोफ्लेविन एवं थायामिन भी काफी बढ़ जाता है जो बेहद पोष्टिक नाश्ता हो जाता है।
कैसे करें मूंग की बुआई:- मूंग के बुआई का समय 15 मार्च से 10 अप्रैल के बीच का है। बुआई के 12 घंटे पूर्व उचित राइजोवियम कल्चर के चार पाकेट प्रति हेक्टेयर में लगाने वाले बीज के दर से 10 प्रतिशत गुड़घोल मिलाकर कर लेने से उपज में 15 से 20 फीसदी तक वृद्धि होती है। बुआई के समय खेतों में नमी की मात्रा होनी चाहिए। बुआई के 30-35 दिनों के बाद नमी की कमी होने पर हल्की सिंचाई करनी चाहिए। जब फसल फूल की अवस्था में हो तो सिंचाई न करें।
बुआई से पूर्व खेतों में 35 किलों यूरिया व 250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट प्रति हेक्टेयर दिया जाना चाहिए तथा रोपण के समय कतार से कतार की दूरी 25 सेमी रखना है।
कौन-कौन उन्नत प्रभेद का है बीज:-
मूंग की खेती के लिए ऐसे तो बाजारों में दर्जनों प्रजातियों की बीज मिलती है। परंतु जिला कृषि विभाग की माने तो उन्नत प्रभेद की पूसा विशाल, सम्राट, एसएमएल-668, टी-44, सोना, पीएस-16 अच्छे प्रभेद हैं। इस नस्ल के बीज प्रयोग करने पर 60 से 75 दिनों में 9-18 क्विंटल मूंग प्रति हेक्टेयर का पैदावार होगा।
कैसे करेंगे पौधा संरक्षण:-
मूंग में पीत चितेरी एवं पीत मोजेक रोग का प्रकोप होता है। खेत में एक भी पौधे जैसे ही दिखे तुरंत उसे खेत से उखाड़ नष्ट कर दें। तुरंत मोटा सिस्टाक्स नामक दवा 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600-800 लीटर पानी में घोलकर पंद्रह दिनों के अंतराल पर छिड़काव करनी चाहिए। इससे बचाव हेतु रोग रोधी किस्म जैसे पूसा विशाल की खेती करें। देशी मूंग के किस्म में इस रोग का प्रकोप ज्यादा होता है पत्र मुड़न रोग एवं पत्र कुंचन रोग के लक्षण दिखने पर भी दवा का छिड़काव करें।
16939 एकड़ के लिए 1355 क्विंटल बीज प्राप्त:-
विभाग ने जिले में 16839 एकड़ भूमि में लगाने के लिए 1355 क्विंटल मूंग का बीज उपलब्ध कराया है। जानकारी के अनुसार अररिया प्रखंड को 186 क्विंटल, फारबिसगंज 199 क्विंटल, नरपतगंज 180 क्विंटल, रानीगंज 110 क्विंटल, भरगामा 124 क्विंटल, जोकीहाट- 168 क्विंटल, पलासी- 131 क्विंटल, सिकटी- 87 क्विंटल तथा कुर्साकांटा को 81 क्विंटल बीज मिला है।
क्या कहते डीएओ:- जिला कृषि पदाधिकारी नईम अशरफ ने कहा कि मूंग की खेती किसानों के लिए लाभदायक है। हरा चारा के रूप में यदि इसका व्यवहार किया जाए तो दुधारु पशुओं के दूध उत्पादन में काफी वृद्धि होगी।

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