Friday, March 30, 2012

कुव्यवस्था के मकड़ जाल में उलझा स्वास्थ्य विभाग

अररिया : अररिया का स्वास्थ्य विभाग कुव्यवस्था का शिकार हो गया है। कुव्यवस्था एवं असहयोग के कारण अब तक जिले में विभिन्न अस्पतालों में पदस्थापित आधा दर्जन चिकित्सकों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। सिर्फ सदर अस्पताल अररिया के चार चिकित्सकों ने मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। त्याग पत्र देने के बाद चिकित्सक बंधन से मुक्त होकर अपना-अपना निजी क्लिनिक चला रहे हैं। उन चिकित्सकों का कहना है कि अपेक्षा के कारण चिकित्सक हर तरफ से प्रताड़ित होते हैं। कर्मियों की कमी, सुविधाओं का अभाव के बीच चिकित्सक अपनी सेवायें तो देते हैं, बावजूद उन्हें प्रताड़ित होना पड़ता है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा पाने की आकांक्षा प्रत्येक व्यक्ति में है। इस आकांक्षा की पूर्ति के नहीं होने पर लोग उग्र हो जाते हैं और उसका शिकार चिकित्सक हो जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में स्वास्थ्य समिति का सहयोग भी खुलकर प्राप्त नहीं हो पाता है। त्याग पत्र देने वाले चिकित्सक डा. आनन्द कुमार बताते हैं कि अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव है। सुविधा के आभाव में वे लोगों को बेहतर सेवा नहीं दे पा रहे थे। वहीं डा. सुदर्शन झा ने बताया कि षड्यंत्र के तहत उन्हें केस में फंसाया गया। लेकिन स्वास्थ्य समिति ने उन्हें कोई सहयोग नही दिया। उनका कहना था कि जब निजी क्लिनिक में लोग उसे फंसा सकते हैं तो फिर अस्पताल में वे कहां तक सुरक्षित रह सकते हैं। वहीं कार्य दबाव एवं असहयोग से त्रस्त होकर फिजीसियन डा. एसके सिंह ने निर्धारित सेवा के दो वर्ष पहले ही सरकार को अपना त्याग पत्र भेज दिया। डा. श्री सिंह ने बताया कि ड्यूटी के दौरान कार्य का दवाब झेलना उनके लिये मुश्किल हो गया था। कार्य दवाब में कर्मियों का सहयोग भी नही मिलता था। जबकि शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सत्यवर्धन को सदर अस्पताल अररिया से नरपतगंज के विरमित किया तो वे चार माह के लिये छुट्टी पर चले गये। दस दिन पूर्व ही एडीजे अवास पर होमगार्ड जवान की मौत के बाद अन्त्यपरीक्षण के दौरान उग्र भीड़ ने डा. शरद कुमार को धक्का मुक्की भी कर दिया। पोस्टमार्टम हाउस के निकट उग्र भीड़ में फंसने के मामले में डा. कुमार को बचाने अस्पताल के कोई भी कर्मी नही पहुंचे तो उन्होंने अपना त्याग पत्र सिविल सर्जन को सौंपकर अवकाश पर चले गये। इसी तरह की घटना कुर्साकांटा में पदास्थापित डा. प्रवीण कुमार के साथ भी घटी थी। कुव्यवस्था एवं असहयोग के कारण त्याग पत्र सौंपने के मामले में सिविल सर्जन से तो संपर्क नहीं हो पाया लेकिन डीपीएम रेहान असरफ ने बताया कि यह सच है कि चिकित्सकों की कमी के कारण कभी-कभी अपेक्षा के अनुसार बेहतर सुविधा लोगों को नही मिल पाती है लेकिन स्वास्थ्य समिति का सहयोग हमेशा हर कर्मी को मिलता है। उन्होंने बताया कि कार्य दबाव के कारण ही चिकित्सक अपना त्याग पत्र सौंप रहे हैं। डीपीएम ने बताया कि सदर अस्पताल में 300 बेड की सुविधा बहाल होने वाली है। रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुये कम से कम 45 से 50 चिकित्सकों की जरूरत है। लेकिन हालात यह है कि पूरे जिले में मात्र 54 चिकित्सक बहाल है।

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