Wednesday, July 20, 2011

बाजारों में पांच सौ रुपये के जाली नोटों की भरमार

कुर्साकाटा(अररिया) : इन दिनों जाली नोटों का नेटवर्क सक्रिय हो गया है। बाजारों में लोग ठगी का शिकार हो रहे है। खासकर 500 रुपये का जाली नोट हाथ में आते ही लोग उलट- पुलट कर देखना नहीं भूलते हैं। जिस पैमाने पर 500 के जाली नोट पाए जा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि एक बड़ी खेप बाजारों में पहुंच गयी है। स्थानीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक अजीत कुमार वर्मा ने बताया कि असली और नकली के बीच इतना बारिक अंतर होता है जिसे जनसामान्य लोग नहीं पकड़ पाते हैं। असली और नकली में इतनी समानता है कि खुली आंखों से अंतर के बारिकियों को समझ पाना कठिन है।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सीमावर्ती क्षेत्र में नेपाल एवं बंगाल के रास्ते एक बड़ा नेटवर्क इस कारोबार में लगे है जो इन दिनों काफी सक्रिय हो गये है। किराना दुकानदार रमेश कुमार डोगू ने बताया कि जाली नोटों की जिस प्रकार बाजारों में भरमार होती जा रही है वह एक चिंता का विषय है। सावधानी बरतने के बावजूद प्रतिदिन ठगी के शिकार होना पड़ता है। इस कारोबार में संलिप्त लोग भीड़ का फायदा उठाते है। उन्होंने बताया कि इनमें महिलाओं की सहभागिता होने लगी है। एक हजार और पांच सौ के नोट ज्यादा पकड़ में आ रहे है। खासकर मवेशी बाजारों में जाली नोट ज्यादा पाये जाते है। बैंकों में लेनदेन के क्रम में प्रतिदिन जाली नोट पकड़ में आ रहा है। जांच मशीन के अभाव में जाली नोट के शिकार एक दूसरे को दिखाकर पुष्टि करते है यह असली है या नकली। दिन भर खेतों में मजदूरी करने के बाद मजदूरी के रूपये बाजार में खर्च करने पहुंचते है तो दुकानदार नोट देखकर खरीदा हुआ सामान वापस कर नोट उनके हाथ में थमा देता है यह नोट जाली है। तब वह खाली झोला लेकर मुंह लटकाये घर जाते है।
बाजारों में जिस प्रकार जाली नोट आने लगे है। इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है यह सोचनीय है। प्रशासन को इसे गंभीरता से लेनी चाहिए। इस कारोबार में संलिप्त लोगों पर अंकुश लगाने के लिए ठोस योजना बनानी पड़ेगी।

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