अररिया : क्या यह तितली का महासम्मेलन है? इसका उत्तर तो सिर्फ प्रकृति के पास है, लेकिन इतना तय है कि कुदरत एक अनपढ़ी किताब की तरह है। पन्ने उलटिये, रोज कुछ न कुछ नया मिलेगा।
इन दिनों जिले की प्रमुख नदी परमान में पानी चढ़ा हुआ है। इसके तट पर घूमिये तो जगह-जगह पीली तितलियां बड़ी संख्या में मिलती हैं, मानों उन्होंने अपनी प्रजाति विशेष का कोई महासम्मेलन बुलाया हो।
इस संबंध में बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के वैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार तितलियां अमूमन साल्ट लीक्स, मवेशियों के गोबर, यूरिन, फलों आदि पर बैठ कर आहार तथा जरूरी मिनरल जुटाती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि परमान तट पर हजारों की संख्या में जमा पीली तितलियां बरसात के मौसम में अपने लिए आहार जुटाने में लगी हैं, या यह उनके जीवन चक्र का कोई अन्य महत्वपूर्ण क्षण है?
जानकारों की मानें तो तितलियां खेती के लिए बेहद लाभकारी होती हैं। तितलियों द्वारा पर-परागण के कारण धान तथा अन्य फसलों के बेहतर उत्पादन में मदद मिलती है। वहीं तितलियां फल व फूल के बेहतर उपज में भी सहायता करती हैं।
इंडियन नेचुरल हिस्ट्री के विश्वकोष के मुताबिक पीली तितलियों का नाम केटोपसिलिया क्रोकेल है। अररिया-पूर्णिया इलाके में तितलियों की सामान्यतया एक हजार प्रजातियां पायी जाती हैं। इनमें भी राजा, रानी, नवाब, प्रिंस, टाइगर आदि होते हैं। इसके अलावा ग्रेट हेलेन, कोहिनूर, जंगल क्वीन, जय, ब्लू नवाब, ब्लू बेगम, बैरॉन, भारतीय परपल बादशाह, ब्लैक प्रिंस जैसी खूबसूरत प्रजातियां भी पायी जाती हैं।
हालांकि, इस इलाके में इनका विस्तृत अध्ययन अब तक नहीं किया जा सका है। लेकिन इतना तय है कि रंगों व खूबसुरती के बेताज सरताज इन तितलियों की जिंदगी उनकी ही तरह खूबसूरत है।
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