अररिया : सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल को शिक्षा का अधिकार एक्ट (आरटीई) को संवैधानिक दर्जा दे तो दिया है पर क्या एक्ट में निहित प्रावधानों का पालन हो पाएगा? इस सवाल का जवाब अब तक सामने नहीं आ पा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा लागू आरटीई एक्ट में स्पष्ट रूप से शिक्षकों के निजी ट्यूशन व कोचिंग चलाने पर पाबंदी लगाने का सख्त निर्देश है।
इस संबंध में पड़ताल के क्रम में सामने आ रहा है कि सिर्फ शहर में ही एक दर्जन से अधिक सरकारी कालेजों व स्कूलों के शिक्षक निजी ट्यूशन पढ़ा रहे है। साथ ही अनुदान प्राप्त करने वाले शिक्षण संस्थानों के शिक्षक भी विभिन्न कोचिंग में शिक्षा सेवा दे रहे हैं।
अररिया के लिए यह भी सच है कि यहां छात्रों के बीच ट्यूशन व कोचिंग का क्रेज है। सरकारी अनुदान प्राप्त करने वाले विभिन्न कालेजों यथा महिला कालेज, सीकेएम ला कालेज बरदाहा, मिल्लीया डिग्री कालेज, मिल्लिया इंटर कालेज, यादव इंटर कालेज के कई प्राध्यापक बेखौफ होकर ट्यूशन क्लास चलाते हैं। सिर्फ यही नही अनुदान प्राप्त करने वाले हाजी दोस्त मोहम्मद प्रस्तावित उच्च विद्यालय जोकीहाट के एक शिक्षक शहर के स्टेशन रोड में सुबह से शाम तक गणित विषय की कोचिंग चलाते हैं। वही हाईस्कूल के एक शिक्षक वार्ड नं. 10 आश्रम रोड में, गणित व विज्ञान तथा वार्ड नं. 16 में, एक हाईस्कूल शिक्षक हिन्दी व संस्कृत विषय का ट्यूशन पढ़ाते हैं। अररिया आरएस में भी अनुदान पाने वाले कालेज के एक शिक्षक ट्यूशन करते हैं।
हाईस्कूल के एक शिक्षक को 35 से 50 हजार रुपया वेतन निर्धारित है। इसके बावजूद 20 से 25 हजार रुपया मासिक आमदनी कोचिंग व ट्यूशन पर हो रहा है।
इस संबंध में शिक्षा विभाग आज तक कुछ भी नही कर पाया है। इधर, डीईओ राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार की जा रही है।
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