अररिया : यहा हर साल हजारों घरों के साथ दिल के अरमान भी जल जाते हैं। तपती जमीन पर खड़ा फूस के घर का 'पेट्रोल' और आग के प्रबंधन में हल्की सी चूक। नतीजा: आग की नीली पीली लपलपाती लपटें और तबाह होते लोग।
फरवरी की शुरूआत के साथ ही जिले में आग का तांडव प्रारंभ हो जाता है और इसमें जिदंगी भर की कमाई के साथ जीवन का उल्लास भी जल कर राख में तब्दील हो जाता है। यह कहानी सदियों पुरानी है और इंदिरा आवास जैसी तमाम योजनाओं के बावजूद आग से क्षति को कमतर करने का तरीका नहीं खोजा जा सका है।
तीन दशक की कागजी लड़ाई के बाद इस जिले को फायर बिग्रेड दस्ता तो मिला, लेकिन पांच साल में उसे दफ्तर तक नसीब नहीं हुआ है। जिले में सड़कों की स्थिति जरूर सुधरी है। पर आज भी कई गांव ऐसे हें जहां दमकल वाहन जा नहीं पाता।
दमकल दस्ते के हवलदार गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि रानीगंज प्रखंड के बौंसी पासवान टोला में आग लगी। पीड़ितों की ओर से दमकल कार्यालय में सूचना दी गयी, लेकिन जब हम पानी लेकर चले तो घटना स्थल तक वाहन हीं नहीं जा पाया। ऐसा ही पलासी के पेचैली गांव भी हुआ। जोकीहाट व नरपतगंज प्रखंड के कई गांवों की भी यही कहानी है। नतीजा: आग लगंते झोपड़ा, जो निकसे सो लाभ। ग्रामीण किसी तरह थोड़ा बहुत ले देकर घर से निकल भागते हैं। जान बचेगी तो फिर कमा लेंगे।
आग से क्षति के पूरे परिदृश्य में प्रशासन गायब ही नजर आता है। अनाज नकद रुपयों की राहत तो मिल जाती है, लेकिन क्षतिपूर्ति शायद ही मिलती है। मिलता तो इंदिरा आवास भी नहीं है। जबकि सरकार का स्पष्ट प्रावधान है कि अग्निपीड़ितों को तुरंत पक्के आवास दिये जायें।
जरा ग्रामीण मानसिकता पर भी गौर कर लीजिए। कोसकी पुर के ग्रामीण अलीमुद्दीन ने बताया कि ऊपरवाला कभी घरजरी का दंड नहीं दे। क्योंकि जब आपका घर जलता है तो केवल घर ही नहीं सब कुछ जल जाता है। जिदंगी का उल्लास भी जल जाता है।
मुआवजा के तौर पर प्रशासन से 2250 रुपये ही मिल सकता है। आवंटन रहने पर प्लास्टिक या अनाज भी मिलने के संभावना रहती है। लेकिन समय पर और सबों को नही। खास तो यह है कि यदि अग्निकांड से व्यापारिक प्रतिष्ठान जलते हैं तो यह मुआवजा भी नहीं मिलता। पिछले वर्ष ही बसंतपुर हाट में अररिया के दो दर्जन व्यापारियों की एक करोड़ से अधिक संपत्ति जलकर खाक हो गयी। लेकिन उन्हें आज तक मुआवजा नही मिल पाया है। अग्निपीड़ित व्यवसायी चंदन गुप्ता, महावीर साह, महेश गुप्ता, राजू आदि ने बताया कि घटना में उनलोगों की भारी क्षति हुई लेकिन मुआवजा आज तक नही मिल पाया है। जबकि अंचल पदाधिकारी तैयब आलम शाहिदी ने सूची बनाकर राहत उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था।
वहीं जिले के विभिन्न पंचायतों में इस वर्ष भी आग लगने से करोड़ों की क्षति पहुंची है। लेकिन मार्च से अबतक किसी भी पीड़ितों को मुआवजा नही मिल पाया है। इस संबंध में सीओ श्री शाहिदी ने बताया कि फरवरी माह तक हुये अग्निकांड के पीड़ितों को मुआवजा उपलब्ध करा दी गयी है। इसके बाद आवंटन के अभाव में हाल के पीड़ितों को राहत उपलब्ध नही हो पायी है। अंचल पदाधिकारी का यह भी कहना है कि व्यापारियों को मुआवजा देने का कोई प्रावधान नही है।
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