Sunday, April 22, 2012

भूगर्भीय जल भंडार में कमी, सूखी एक दर्जन नदियां


अररिया : नदियों की गोद में बसा अररिया जिला एक ऐसे संकट से रूबरू है, जो आने वाले दिनों में खतरनाक स्वरूप ग्रहण कर सकता है। अंडरग्राउंड जल स्तर में कमी के कारण यहां कीएक दर्जन से अधिक नदियां सूख चुकी हैं। यह खतरा कोसी फ्लड प्लान की नदियों में सर्वाधिक है, हालांकि परमान समूह की नूना नदी भी विगत साल सूख कर बालू भरे मैदान में बदल गयी थी।
जानकारों के मुताबिक कोसी की मुख्य धारा तकरीबन तीन सौ साल अररिया जिले के बीचोबीच होकर बहती थी।
धीरे धीरे यह पश्चिम की ओर खिसक गयी। इस खिसकाव से बड़ी संख्या में नदियों का निर्माण हुआ। इन नदियों की विशेषता यह थी कि इनका स्रोत कहीं न कहीं इसी जिले में था। विगत चार से साल से इनके एक एक कर सूखने का सिलसिला चालू है। जानकार यह मानते हैं कि ऐसा बाढ़ व भूकंप के दौरान भूमि की लेयर संरचना में हुए बदलाव के कारण हुआ है।
जिन नदियों पर कुदरत का कहर बरपा है उसमें सीता, कारी कोसी, कमताहा, कमला, लछहा, बुढकोसी, गेरुवा, कजरा, नितिया, बगजान, पेमा, सरसुनी धार, फरियानी आदि शामिल हैं। पौराणिक नदी सौरा के जल भंडार पर भी असर पड़ा है।
जानकारों के अनुसार कोसी के पश्चिम शिफ्ट करने के बाद अररिया शहर से पश्चिम जमीन की सतह पर बालू की मोटी चादर छा गयी है। इसी सतह के अंदर पानी के कई भंडार छुपे थे और बाद के दिनों में पानी की अधिकता के कारण इन्होंने नदियों का रूप ले लिया।

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