Thursday, July 7, 2011
फर्जी हस्ताक्षर के जरिये सरकारी राशि को लगाया जा रहा चूना
अररिया : घोटालेबाजों के लिए ऐशगाह बने अररिया में फर्जीबाड़ा रूकने का नाम नहीं ले रहा है। डेहटी पैक्स के माध्यम से यहां करोड़ों के घोटाले उजागर होने के बावजूद प्रशासन सतर्क नहीं हो पाया है। फलस्वरूप घोटालेबाजों ने सरकारी राशि को चूना लगाये जाने का नया रास्ता अख्तियार कर लिया है। अब विभागीय अधिकारी, बैंक कर्मी व बिचौलियों की मिलीभगत से फर्जी हस्ताक्षर कर बैंकों से योजनाओं की राशि चट करने वालों का एक संगठित गिरोह अररिया में सक्रिय है। जालसाजी कर विभिन्न विभागों को अब तक करोड़ों की राशि का चूना लगाया जा चुका है। सबसे अधिक चूना सर्वशिक्षा अभियान की राशि को लगाया गया है। दरअसल विद्यालय भवन/दिवाल निर्माण व मरम्मत के लिए सर्वशिक्षा अभियान से निर्गत होने वाली राशि का चेक संबंधित स्कूल तक पहुंचने के बजाय बिचौलिये के पास पहुंच जाता है तथा फर्जी हस्ताक्षर कर उसका उठाव कर लिया जाता है। पिछले दिनों ऐसा ही एक मामला पकड़ में आया था जिसमें एक की गिरफ्तारी भी हुई थी, किंतु अब वे जमानत पर रिहा हो चुके हैं। जोकीहाट प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में चारदीवारी निर्माण व मरम्मत के लिए एसएसए कार्यालय से लाखों की राशि का चेक निर्गत हुआ। जोकीहाट के एक बैंक से उक्त चेक क्लियरेंस के लिये बैंक आफ बड़ौदा शाखा फारबिसगंज पहुंचा। बैंक के शाखा प्रबंधक को हस्ताक्षर पर शक हुआ और उन्होंने इसकी सूचना तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक को दी। इसके बाद जब मामले की जांच की गयी तो उक्त चेक पर हस्ताक्षर फर्जी पाया गया। इतना ही नहीं वह चेक संबंधित विद्यालय के बजाय अशोक कुमार श्रीवास्तव उर्फ मटरू नामक व्यक्ति के खाता के माध्यम से क्लियरेंस के लिये भेजा गया था। यह मामला पहला नहीं था। इससे पहले भी वर्ष 2007 में 6 एवं 11 जुलाई को छह नवसृजित विद्यालयों के भवन निर्माण के लिये 29 लाख 38 हजार की राशि का चेक निर्गत किया गया था, जो डेढ़ वर्ष तक विद्यालय नही पहुंच पाया। इसी प्रकार जोकीहाट प्रखंड के ही नौ विद्यालयों के लिये 46लाख 10 हजार का चेक सर्व शिक्षा अभियान से निर्गत हुआ था, जिसका आज भी कोई अता पता नहीं चला है। इसके अलावा जोकीहाट के ही प्रसादपुर पंचायत के बीआरजीएफ एवं बारहवीं वित्त योजना की 24 लाख की राशि जालसाजों द्वारा फर्जी हस्ताक्षर कर निकाल ली गयी। जाहिर है फर्जी हस्ताक्षर कर और मिलीभगत से सरकारी योजनाओं की राशि को यहां चूना लगाया जा रहा है। आश्चर्य तो है कि ऐसे गिरोहों की खोज के लिए न तो पुलिस कारगर अनुसंधान चला रही है और न ही विभाग की ओर से ही ठोस पहल की जा रही है।
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