Thursday, July 7, 2011

कटाव की दहशत ने छीन ली है जिंदगी की रौनक

अररिया : अररिया जिले में परमान महानंदा समूह के पचास से ज्यादा गांव नदियों के कटाव के मुहाने पर हैं।
सुनने में भले ही भारी लग रहा हो, पर अररिया के गांवों की यह ऐसी हकीकत है जिसने यहां के गांवों में जीवन को बदरंग कर दिया है। मानसून की दस्तक के साथ इन गावों में जीवन की रफ्तार ठहर जाती है। जिंदगी बेरौनक हो जाती है और सब कुछ नदी के रहमोकरम पर आ जाता है।
जिले में तीन फ्लड प्लान हैं। इसमें सबसे पूरब में परमान-कनकई-महानंदा प्लान है। कटाव की दहशत इसी प्लान की नदियों ने फैला रखी है। सेंट्रल पूर्णिया व कोसी फ्लड प्लान में कटाव की पीड़ा अपेक्षाकृत कम है।
परमान की सहायक नदी बकरा के कटाव की लीला इसके नेपाल से भारत प्रवेश के साथ ही शुरू हो जाती है। इस नदी ने सिकटी व कुर्साकाटा प्रखंडों में व्यापक तबाही मचा रखी है। तबाही की ताजा दास्तान पीरगंज से ही शुरू होती है। कुर्साकाटा के असुरकलां खोला, पीरगंज व भूमपोखर के बाद सिकटी प्रखंड के तीरा, खारदह व पिपरा गांव में बकरा बरबादी के नये अध्याय लिख रही है।
पीरगंज के पास मार्ग परिवर्तन की कवायद ने बकरा को बेरहम बना रखा है। इसने नेमुआ, पोठिया, बेलवाड़ी रामनगर आदि गांवों में भारी तबाही मचा रखी है।
अररिया प्रखंड के बेंहगी, मदनपुर, फरासूत, पोखरिया, बैरगाछी, भंगिया सहित कई अन्य गांवों में भी बकरा का कहर जा रही है।
इसी नदी ने जोकीहाट प्रखंड के रमरै, मझुवा, सतबिटा, भगवानपुर-कोचाटिकड़, रहड़िया, फरसाडांगी, मटियारी,
बलुआ सहित एक दर्जन से अधिक गांवों में भी तबाही मचा रखी है। बकरा का कहर पलासी प्रखंड के आधा दर्जन गांवों पर भी बरप रहा है।
बकरा ने लगभग एक दर्जन स्कूल, एक स्वास्थ्य उपकेंद्र, व कई धार्मिक स्थलों को भी अपने निशाने पर ले रखा है।
वहीं, परमान, नूना, रतवा व कनकई ने भी अपने तट पर बसे गांवों में तबाही का मंजर लिखना शुरू कर दिया है। अररिया प्रखंड के बेलवा गांव में चौदह टोले हैं। सब परमान के कोप के शिकार। इस गांव का स्कूल भवन तीन चौथाई कटकर नदी में जा चुका है। नदी का ताजा गुस्सा झौवारी गांव पर बरस रहा है। गरीबों के घर कट कर नदी में जा रहे हैं।
कटाव के कारण जहां लोग विस्थापित हो रहे हैं, वहीं इससे जीवन की रौनक भी छिन रही है। खेती की बरबादी को पूर करने के लिए किसान व मजूदरों का बड़ा तबका पलायन को मजबूर हो गया है।

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