फारबिसगंज (अररिया) : 2011 के रेल बजट में सीमांचल वासी एक बार फिर ठगे गये हैं। शुक्रवार को रेलमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पारित रेल बजट से भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों में निराशा के साथ-साथ आक्रोश भी देखा जा रहा है। लोगों ने बताया कि ममता की छांव से फिर सीमांचल वंचित रह गया। नार्थ इस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कामर्स के उपाध्यक्ष मोतीलाल शर्मा कहते हैं कि कुल मिलाकर देखा जाए तो यह बजट निराशाजनक है। बजट में रेलमंत्री द्वारा पूर्व से ही पिछड़े इस इलाके के साथ अनदेखी की गयी है। यूं तो बिहार को कुछ नयी ट्रेनों का झुनझुना तो जरूर थमा दिया गया लेकिन जोगबनी से जयपुर, जोधपुर, वाराणसी, रांची, गुवाहाटी आदि स्थानों के लिए एक भी नयी ट्रेन नहीं दिया जाना, फारबिसगंज-सहरसा अमान परिवर्तन का कार्य आरंभ नहीं किया जाना, जोगबनी या बथनाहा में वासिंग पीट का नहीं बनाया जाना, सीमांचल वासियों के हसरतों पर कुठाराघात है। अररिया के व्यवसायी सुमन कुमार सिंह कहते हैं कि जोगबनी स्टेशन से पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के हजारों यात्री भारत के विभिन्न शहरों के लिए यात्रा करते हैं। ऐसे में जोगबनी से उत्तरी, पश्चिमी एवं दक्षिणी भारत के लिए नयी ट्रेनों का परिचालन नहीं किये जाने से रेलवे को प्रतिदिन करोड़ों की क्षति हो रही है। बताया कि कुल मिलाकर विकास के मामले में पिछड़े इस क्षेत्र को रेलवे की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। डीआरयूसी सदस्य बछराज राखेचा व विनोद सरावगी भी रेल बजट से हताश हैं। उन्होंने कहा कि कटिहार-पटना इंटरसिटी और आम्रपाली एक्सप्रेस का विस्तार जोगबनी तक नहीं होना एवं कोलकाता एक्सप्रेस को प्रतिदिन परिचालन का घोषणा नहीं किया जाना यहां के लोगों के लिए धोखा है। उन्होंनें इसके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराया है। वहीं शहर के प्रमुख व्यवसायी तमालसेन, अरविंद गोयल आदि ने ममता बनर्जी के रेल बजट को कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना बताया है। कहा कि रेलमंत्री ने आगामी बंगाल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बजट पेश किया है। हालांकि पत्रकारों को साल में दो बार रेल यात्रा में छूट तथा ई टिकट में छूट की घोषणा का उन्होंने स्वागत किया है। इधर नप की मुख्य पार्षद वीणा देवी, पूर्व अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल और सुनीता जैन, भाजपा नगर अध्यक्ष रघुनंदन प्रसाद साह समेत बुद्धिजीवी विचार मंच के डॉ. एमएल शर्मा, प्रो. कमला प्रसाद बेखबर, कर्नल अजीत दत्त, डॉ. सुधीर धरमपुरी, विनोद कुमार तिवारी आदि ने भी रेल बजट 2011 को निराशाजनक बताते हुए कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र के लोग रेल विकास के मामले में फिर से वंचित रह गये।
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