अररिया : फारबिसगंज प्रखंड के शुभंकरपुर माणिकपुर गांव से गुजरते वक्त कुछ समय पहले तक बालू के बड़े-बड़े टीले नजर आते थे। तेज हवा चलने पर ये टीले अपना स्थान बदलकर मेन रोड पर आ जाते थे, जिससे लोगों को आने जाने में बेहद परेशानी होती थी। इसे रोकने के लिए सड़क तट पर पक्की दीवारें खड़ी कर दी गयी थी। लेकिन गुजरते वक्त के साथ ये बालू बुर्ज अब अतीत की चीज बन गये और वहां से अब ईस्ट वेस्ट कारीडोर की शानदार फोरलेन सड़क गुजरती है। इसी तरह रानीगंज होते हुए भरगामा तक जाने के नाम पर यात्रियों की रूह कांप जाती थी। लेकिन अब गांव-गांव तक जाने के लिए शानदार ब्लैक टाप सड़कें बन चुकी हैं। नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगती खूबसूरत बार्डर रोड के निर्माण को भी सरकारी स्वीकृति मिल चुकी है। फोरलेन, स्टेट हाइवे, मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ग्राम सड़कों का जाल बिछ गया है। यानी सड़कों के मामले में जिला लगभग चकाचक है।
पक्की सड़कों के बनने से जिले में यातायात व्यवस्था को बेहद बढ़ावा मिला है। बड़ी संख्या में ग्रामीण युवक टेम्पों, मैजिक आदि जैसी छोटी गाड़ियां खरीद कर स्वनियोजित हो रहे हैं। इतना ही अब अररिया से पटना, दरभंगा व मुजफ्फरपुर आदि शहरों तक जाने के लिए शानदार वोल्वो बसें भी चलने लगी हैं, जो पहले की तुलना में लगभग आधा समय में पहुंचा देती हैं।
लेकिन भूतल परिवहन के दो और बिंदुओं पर शायद सरकार का ध्यान नहीं है। रेल के मामले में यहां राजनेताओं ने खूब झुनझुना बजाया, लेकिन एक किमी भी लाइन नहीं बनी। उल्टे स्वीकृति के बावजूद अररिया- गलगलिया व अररिया-सुपौल जैसी रेल लाइनों का निर्माण खटाई में पड़ा हुआ है। केंद्रीय रेल मंत्रालय इस इलाके की घोर उपेक्षा कर रहा प्रतीत होता है। अगर नहीं, तो बड़ी लाइन बनने के बाद भी जोगबनी से आम्रपाली व इंटरसिटी एक्सप्रेस का विस्तार क्यों नहीं किया गया? जोगबनी से देश के दूरस्थ शहरों के लिए रेलगाड़ियां क्यों नहीं चलाई जा रहीं? उधर, बथनाहा नेपाल रेल लाइन का निर्माण भी खटाई में ही पड़ा हुआ है।
जहां तक वायु परिवहन का प्रश्न है, सामरिक महत्व का होने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय स्तर के फारबिसगंज हवाई अड्डे का विकास आज तक नहीं किया गया। इस हवाई पट्टी का निर्माण भारत चीन युद्ध के बाद किया गया था। हवाई अड्डा के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन आज भी अर्जित पड़ी है। इस पर किसान अब सब्जी उपजाने लगे हैं।
बाक्स:
प्रमुख बिंदु
-अब तक प्रारंभ नहीं हुई वायु परिवहन की सुविधा
-फारबिसगंज हवाई अड्डा मृत प्राय: स्थिति में
-रेल सुविधाओं के विस्तार पर नहीं है केंद्र का ध्यान
-पचास साल से नहीं बनी कोई नई रेल लाइन
-स्वीकृति के बावजूद शुरू नहीं हुआ अररिया- कुर्साकाटा-गलगलिया रेल पथ का निर्माण
-सर्वे तक ही सिमट गयी फारबिसगंज ठाकुरगंज रेल लाइन
-समाप्त हो गयी कोसी नैरो गेज रेल लाइन
-शिलान्यास के बावजूद अररिया रानीगंज सुपौल रेल लाइन में शुरू नहीं हुआ काम
-सड़कों की स्थिति सुधरी, गांव की गलियों तक पहुंच रहे चौपहिया वाहन
-ईस्ट वेस्ट कारीडोर के तहत फोरलेन पथ बनने से सड़क यातायात में क्रांतिकारी परिवर्तन
-अररिया सुपौल व कुरसेला फारबिसगंज स्टेट हाइवे बनने से तेज हुआ विकास
-जल परिवहन मृत, नदियों के बारे में प्रशासन को जानकारी का अभाव
-आजादी के बाद से अब तक नहीं हुआ नदियों का हाइड्रोलाजी सर्वे
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