अररिया/कुर्साकाटा : बटराहा गांव के ग्रामीणों पर एसएसबी द्वारा की गयी फायरिंग जवानों को बंधक बनाये जाने का परिणाम था। यह निष्कर्ष बुधवार को पूर्णिया प्रक्षेत्र के कमिश्नर ब्रजेश मेहरोत्रा एवं डीआईजी अमित कुमार की संयुक्त जांच के बाद उभरी है। कमिश्नर एवं डीआईजी जब ग्रामीणों से अलग अलग बयान ले रहे थे तो वे लगातार घटना का समय भी नोट कर रहे थे। एसएसबी एवं ग्रामीणों के द्वारा अंकित कराये गये समय के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि यदि उत्तेजित ग्रामीण दो जवानों को बंधक नहीं बनाते तो यह घटना नहीं घटती।
ग्रामीणों व जवानों से हुई पूछताछ के बाद यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि जब सिकटिया बीओपी के दस जवान बटराहा बीओपी आ रहे थे उसी समय दो जवानों को ग्रामीणों ने हथियार छीनकर बंधक बना लिया। शेष आठ जवान जब उत्तेजित ग्रामीणों द्वारा अपने साथियों को बंधक बनाते देखा तो वे गांव के बगल से दौड़ते हुए बीओपी पहुंचे और अपने साथियों को इस बात की जानकारी दी। पूछताछ के क्रम में यह भी सामने आया कि उक्त जवान अपने रूटीन वर्क के तहत एक बीओपी से दूसरे बीओपी तक गश्ती भी करते है। गश्ती के क्रम में जवान बटराहा में रविवार की रात हुई छेड़खानी का प्रयास की जानकारी लेने गांव की ओर जा रहे थे। लेकिन रास्ते में ही उन्हें बंधक बना लिया गया। बंधक बनाने से पूर्व ही ग्रामीण बीओपी पहुंचे थे और जवानों के साथ तू तू मैं मै की घटना घटी थी।
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