फारबिसगंज(अररिया) : शिक्षा विभाग की उदासीनता एक बार फिर उजागर हुई है। इंटर स्तरीय प्लस टू विद्यालयों में भवन निर्माण, प्रयोगशाला व उपस्कर मद में मिले करोड़ों की राशि इस वर्ष 31 दिसंबर तक वापस होने जा रही है। राशि का उपयोग नहीं कर सकने वाले प्लस टू उच्च विद्यालयों को राशि वापस कर देने का फरमान जारी कर दिया गया है। डीईओ दिलीप कुमार ने इस जानकारी की पुष्टि की है।
उन्होंने बताया कि विधायक मद से प्रति स्कूल 39.50 लाख रुपया उपलब्ध कराया गया था। जिसमें भवन निर्माण मद में 26 लाख रुपये, प्रयोगशाला मद में तीन लाख, पुस्तक मद में दो लाख, उपस्कर मद में 6.50 लाख तथा जिम मद में 1.60 लाख रुपये खर्च होने थे। जिले के एकाध प्लस टू विद्यालयों को छोड़कर किसी विद्यालय में राशि का पूरा उपयोग नहीं किया जा सका। उपलब्ध करायी गयी राशि का उपयोग नहीं होने के कारण इसे सरेडर करने का निर्देश दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार मुद्रा विमोचन और पीसी की हिस्सेदारी को लेकर राशि का उपयोग नहीं किया जा सका। कुछ संवेदक द्वारा कार्य कराने के लिए विद्यालयों में आवेदन भी दिया गया था जिसे दरकिनार कर दिया गया।
जिला शिक्षा पदाधिकारी दिलीप कुमार ने कहा कि राशि का उपयोग नहीं किये जाने के कारण प्लस टू विद्यालयों को राशि वापस करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि जिला में 28 इंटर स्तरीय प्लस टू उच्च विद्यालयों को करीब 39.50 लाख रुपया प्रति विद्यालय उपलब्ध कराया गया था।
मालूम हो कि कुछ माह पूर्व फारबिसगंज के तत्कालीन विधायक लक्ष्मीनारायण मेहता द्वारा इस मद से संबंधित कार्य के लिए एक विज्ञापन भी निकाला गया था जिसके बाद कुछ संवेदकों द्वारा विभिन्न विद्यालयों में काम करने के लिए आवेदन भी दिया गया। इसके बाद शिक्षा विभाग के पदाधिकारी, विद्यालयों के प्राचार्य अथवा जनप्रतिनिधियों के द्वारा सभी समुचित सुधि नहीं ली गयी। संवेदकों द्वारा विधायक से लेकर प्राचार्य तथा डीईओ कार्यालय तक चक्कर लगाते रह गये। सभी एक दूसरे पर जवाबदेही थोपते रह गये। नतीजा यह हुआ कि काम नहीं हो सका। इस उदासीनता और राशि खर्च नहीं होने के लिए आखिरकार कौन जिम्मेदार है। राज्य सरकार विकास मद की राशि ससमय खर्च करने पर विशेष जोर दे रही है। बावजूद इसके छात्र छात्राओं की शिक्षा तथा शारीरिक कौशल के विकास के लिये मिली राशि का उपयोग नहीं हो सका। हालांकि बताया गया कि कुछ विद्यालयों में भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया है। लेकिन अधिकांश स्कूलों से राशि लौट रही है।
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