अररिया : इंदिरा आवास, मनरेगा, आंगनबाड़ी के बाद कचरा निष्पादन के लिए खरीदी गई भूमि के मामले में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। घपले घोटाले के चर्चित रहे अररिया में प्राय: हर सरकारी योजनाएं अनियमितताएं की शिकार होती रही है। भ्रष्टाचार के ताजा प्रकरण में कचरा निष्पादन के लिए खरीदी गयी करीब 339 डिसमिल जमीन में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आयी है। खरीदी गयी जमीन वर्तमान दर से करीब चार गुणा अधिक रेट पर ली गयी है। जबकि सरकारी जमीन को भी निजी दिखाकर उसके पैसे वसूल किये गये। इतना ही नहीं जिस 12 वीं वित्त योजना की राशि से उक्त जमीन खरीदी गयी है उस योजना के तहत जमीन खरीदे जाने का प्रावधान है ही नहीं। आरटीआई के तहत सूचना व कोर्ट में रिट याचिका दायर किये जाने के बाद मामले का खुलासा हुआ है। जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया तथा जिलाधिकारी एम सरवणन ने जमीन मालिक को पैसा व डीड वापस करने का निर्देश दिया है।
कचरा निष्पादन के लिए जमीन खरीदने का निर्णय नप बोर्ड की बैठक में वर्ष 2009 में लिया गया। जिसके बाद नप की स्थायी समिति ने नप की मुख्य पार्षद व कार्यपालक अधिकारी को जमीन खरीदने के लिए अधिकृत किया। उस वक्त 12 वीं वित्त योजना के तहत नप को नगर विकास एवं आवास विभाग से एक करोड़ 20 लाख की राशि प्राप्त हुई थी। हालांकि उक्त राशि का उपयोग जमीन खरीद के लिए नहीं होना था, इसके बावजूद जिला प्रशासन से निर्देश लेकर मुख्य पार्षद व कार्यपालक पदाधिकारी ने 57 लाख 30 हजार रूपये से जमीन खरीदने का निर्णय ले लिया। इसके लिए नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत बुआरीबांध स्थित 339 डिसमिल जमीन का चयन किया गया। जिस जमीन का चयन किया गया वह 11 खेसरा में बंटा है। साथ ही उसमें कोसी प्रोजेक्ट की भी जमीन शामिल है। साथ ही उस वक्त भूखंड की कीमत मात्र 16 लाख आंकी जा रही थी। जिसकी आवाज नप बोर्ड की बैठक में तत्कालीन एक वार्ड पार्षद द्वारा उठायी गयी थी। बावजूद बिना जांच किये मिलीभगत कर जमीन मालिक राजकुमारी देवी व ओमप्रकाश भगत को क्रमश: 41.20 तथा 16.10 लाख के चेक का भुगतान कर दिया गया।
चर्चा है कि मुंह बंद रखने के लिए उस वक्त कई वार्ड पार्षदों सहित अधिकारियों को अच्छी खासी कमीशन खिलायी गयी। बाद में पूर्व मुख्य वार्ड पार्षद ने जब आरटीआई के तहत सूचना मांगी तो अनियमितताएं सामने आयी। उन्होंने कोर्ट में भी इस संबंध में रिट याचिका दायर की है। मामला प्रकाश में आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। डीएम एम सरवणन ने नप के कार्यपालक पदाधिकारी को जमीन मालिक से रजिस्ट्री खर्च सहित सारी राशि तथा डीड वापस करने का निर्देश दिया है। प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जमीन मालिक ने करीब 29 लाख रूपये जमा भी कराया है तथा और राशि वापसी के लिए समय मांगा है। जिला प्रशासन की नाक के नीचे उक्त घपला उजागर होने से प्रशासनिक व राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गयी है।
News Source - in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4-4-97.html
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