अररिया : रेणु की सरजमीं पर मंगलवार को हास्य व्यंग्य से ओतप्रोत एक सुनहरी शाम ऐतिहासिक व यादगार बन गई। मौका था, दैनिक जागरण की ओर से आयोजित हास्य कवि सम्मेलन का। जहां भारतीय संस्कृति के सजग प्रहरी की तरह देश के विभिन्न शहरों से आए कवियों ने हंसते-हंसाते संपूर्ण जीवन की दास्तां कह दी।
इस यादगार कार्यक्रम में हिंदी जगत की हस्तियों ने अपनी शानदार कविताओं से अररिया वासियों को भरपूर हंसाया, गुदगुदाया और यह सोचने को मजबूर कर दिया कि सचमुच साहित्य के बिना सब कुछ अधूरा ही रह जाता है। कवि डॉ. सीता राठौर सागर के इन शब्दों पर गौर कीजिए 'मैं अधूरी थी हो गई पूरी। जेठ की तपती दुपहरी भी जो चुन ले मुझे हर तरफ चांदनी सी बिखर जाएगी।' कार्यक्रम में प्यार, हास्य व गीतों का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। कविताओं की इस गंगा में सब कुछ सहज भाव से प्रवाहित होता दिखा। प्रेम के गीत, हास्य के बीच राजनेताओं पर कटाक्ष और ओजपूर्ण छंदों से उत्पन्न कर्तव्यबोध की लहरें .., ऐसा प्रतीत हुआ कि अररिया में काव्य जगत की त्रिवेणी साकार हो गई। भौतिकतावादी युग में बिखरते रिश्तों पर भारत के सांस्कृतिक राजदूत कहे जाने वाले डॉ. सुरेश अवस्थी की टिप्पणी काबिले गौर रही 'मां-बाप भाई-बहन के रिश्तों से पैसा बड़ा हो गया है।'
फरीदाबाद से आये सरदार मंजीत सिंह ने अपनी कविता में आधुनिक बिंबों के इस्तेमाल से दर्शकों को देर तक झुमाया। लखनऊ से आये कवि डॉ. विष्णु सक्सेना ने प्रेम के गीतों से सबको सराबोर कर दिया। रायपुर छत्तीसगढ़ से पहुंचे हास्य रसावतार डॉ. सुरेंद्र दुबे ने 'टाइम नहीं है व हम टेंशन में हंई' कविता पढ़कर सबको हंसने पर मजबूर कर दिया।
इसी बीच मंच संचालन के दायित्व को विराम देकर देवास से आये कवि शशिकांत यादव ने अपनी कविताओं से माहौल को जोशीला बना दिया। दिल्ली के हरयाणवी कवि अरुण जैमिनी ने माइक थामी तो हास्य व्यंग्य का दरिया एक बार फिर बह चला। उन्होंने हरियाणा की आम मानसिकता को आधार बना कर बेहद रोचक कविताएं पढ़ी।
इस ऐतिहासिक आयोजन का क्लाईमेक्स देश के सुविख्यात ओज कवि डॉ. हरिओम पवार के काव्य पाठ के साथ आया। उन्होंने संविधान के अपमान पर केंद्रित अपनी शानदार कविता से दर्शकों को जोश से ओतप्रोत कर दिया। वहीं, दिल्ली दरबार नामक कविता के माध्यम से उन्होंने मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर गहरे कटाक्ष किये।
इससे पूर्व सांसद प्रदीप कुमार सिंह, विधायक सरफराज आलम, विधायक परमानंद ऋषिदेव व दैनिक जागरण के सहायक प्रबंधक अखिलेश कुमार पांडे ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। अतिथियों ने दैनिक जागरण के संस्थापक पूर्णचंद्र गुप्त एवं पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन के तैल चित्र पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।
सांसद ने अपने संबोधन में आयोजन की भरपूर सराहना की तथा इसे ऐतिहासिक बताया। इस अवसर पर कार्यक्रम के प्रायोजकों व अतिथियों का पुष्पगुच्छ के साथ स्वागत किया गया तथा जिले के दस साहित्य सेवियों को स्मृति चिन्ह व बुके देकर सम्मानित किया गया।
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