Wednesday, May 2, 2012

..कि तू अब हो गयी मिट्टी सरहदी



अररिया: ..कि तू अब हो गयी मिट्टी सरहदी, इसी से पूछता हूं तुमसे, दरिया औ दयारों से कि डर तो नहीं किसी से? कवि रेणु की यह रचना मंगलवार को अपनी ही जमीन पर साकार होती नजर आयी। हास्य व्यंग्य व मानवीय संवेदनाओं से सराबोर इस रुपहली शाम अररिया वासियों के दिलो दिमाग पर गहरा अक्स छोड़ गयी। देश के विभिन्न शहरों से आये कवियों ने अपनी यादगार रचनाओं से जीवन की खूबसूरती के अलग अलग पहलुओं को बखूबी उकेरा। सुंदर छंदों में जिंदगी की खूबसूरती पूरी शिद्दत के साथ निखरी और मंचासीन कवियों ने हास्य के फुहारों के बीच लोगों को कर्तव्य बोध भी कराया।
इस सुनहली शाम अररिया के सुधी दर्शकों को सब कुछ मिला। साहित्यिक भूख की शांति के साथ जिंदगी का सौंदर्य आठों कलाओं के साथ उभर कर सामने आया और शायद इस जमीन पर सोच के एक नये धरातल की भी शुरूआत हुई।
इस यादगार कार्यक्रम में हिंदी जगत की विख्यात हस्तियों ने अपनी शानदार कविताओं से अररिया वासियों को हास्य की सरिता में लगातार सराबोर रखा। दर्शक संस्कृति के एक नये रूप से रूबरू हुए।
प्रेम की कवि डा. सीता राठौर सागर ने प्रेम के तीन रूपों मोहब्बत, इश्क व इबादत से परिचित कराया। दर्शकों को उनकी प्रस्तुति से आत्मिक प्रेम की नई परिभाषा मिली।
कार्यक्रम में रसों का अद्भुत समन्वय नजर आया।
शाम के वक्त आयी तेज आंधी को जिस तरह कुदरत का कहर समझा जा रहा था, कार्यक्रम के दौरान शब्दों की अमृत वर्षा से वह किसी करिश्मे में तब्दील हो गया। शांत व शीतल हवा के बीच काव्य गंगा का अविरल प्रवाह।
आयोजन में कवियों का टारगेट रहे नेता व मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य। राजनेताओं पर जब जब कवियों का कटाक्ष हुआ दर्शक दीर्घा में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। भारत के सांस्कृतिक राजदूत कहे जाने वाले डा. सुरेश अवस्थी ने घपलों घोटालों से कराह रहे समाज पर अपनी प्रस्तुति ..शेर जंगल का राजा है, जब मन हो मांस खाता है, जब मन हो घास खाता है से दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरी।
फरीदाबाद से आये सरदार मंजीत सिंह ने अपनी कविता में आधुनिक दौर के प्रतीकों का बखूबी इस्तेमाल किया। खासकर मोबाइल के हैलो ट्यून की प्रस्तुति कर उन्होंने दर्शकों की अदालत का फैसला अपने पक्ष में किये जाने पर मजबूर कर दिया। जब लखनऊ से आये कवि डा. विष्णु सक्सेना ने माइक थामी तो ऐसा लगा कि सुरीले प्रेम गीतों की नदी प्रवाहित हो रही है। ..रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक लहर आयेगी का सस्वर पाठ कर डा. सक्सेना ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। रायपुर छत्तीसगढ़ से पहुंचे हास्य रसावतार डा. सुरेंद्र दुबे ने अपने सांवले रंग की तुलना ब्लैकबेरी से की ओर हम टेंशन में हंई कविता का पाठ कर हंसते हंसते जिंदगी के कई रंग बिखेरे। उनकी कविताओं को दर्शकों से भरपूर तालियां मिली।
इसी बीच मंच संचालन के दायित्व को विराम देकर देवास से आये कवि शशिकांत यादव ने अपनी ओजपूर्ण कविताओं से माहौल को जोशीला बना दिया। उनकी रचना लाल चौक से लाल किले तक झंडे का अपमान हुआ है दर्शकों को अंदर तक झकझोर गयी।
लेकिन जब दिल्ली के हरयाणवी कवि अरुण जैमिनी ने माइक थामी तो हास्य व्यंग्य का दरिया एक बार फिर बह चला। उन्होंने हरियाणा की आम मानसिकता को आधार बना कर बेहद रोचक कविताएं पढ़ी।
इस ऐतिहासिक आयोजन का चरमोत्कर्ष देश के सुविख्यात ओज कवि डा. हरिओम पवार की कविताओं के साथ आया। डा. पवार ने संविधान पर केंद्रित अपनी शानदार कविता से दर्शकों को जोश से ओतप्रोत कर दिया। वहीं, दिल्ली दरबार नामक कविता के माध्यम से उन्होंने मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर गहरे कटाक्ष भी किये।
इससे पूर्व सांसद प्रदीप कुमार सिंह, विधायक सरफराज आलम, आंनदी प्र.यादव व परमानंद ऋषिदेव तथा सहायक प्रबंधक अखिलेश पांडे ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने दैनिक जागरण के संस्थापक पूर्णचंद्र गुप्त एवं पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।
इस अवसर पर सीजेएम सत्येंद्र रजक, प्रभारी डीएम कपिलेश्वर विश्वास, एफटीसी 4 के जितेंद्र नाथ सिंह, लोक अदालत के अध्यक्ष आरएम त्रिपाठी, न्यायिक दंडाधिकारी रवि कुमार, पीके रतन, अररिया कालेज के प्रिंसिपल डा. मुहम्मद कमाल, एपीपी विनोद कुमार सिंहा, अधिवक्ता देव नारायण सेन सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मौके पर कार्यक्रम के प्रायोजकों व अतिथियों का पुष्पगुच्छ के साथ स्वागत किया गया। इस अवसर पर जिले के दस साहित्यसेवियों को स्मृति चिंह व बुके देकर सम्मानित किया गया।

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