Saturday, May 5, 2012

जाली नोट के कारोबार में हवाला प्रक्रिया का इस्तेमाल


फारबिसगंज (अररिया): जाली नोट के कारोबार में सीमावर्ती क्षेत्र में कई सफेदपोश लोग शामिल हैं। फारबिसगंज प्रखंड के कुशमाहा पंचायत के पूर्व मुखिया मो. अशफाक आलम की जाली नोटों तथा हथियारों के साथ बरामदगी और उसके खुलासे ने इस पूरे नेटवर्क को बयां कर दिया है। इस घटना से पुलिस को इस क्षेत्र में हो रहे जाली नोट के गोरख धंधा की प्रक्रिया की भी पुख्ता जानकारी मिली। जाली नोटों और दो देशी कट्टा सहित 16 राउंड जिंदा कारतूस के साथ 10 रु. के नोट की एक अधकट्टी भी बरामद किया गया है। यही अधकट्टी डिलेवरी ट्रांजेक्शन नोट अर्थात जाली नोटों की आपूर्ति के लिये इस्तेमाल होने वाले नोट है। इस अधकट्टी का दूसरी भाग माल भेजने वाले नोट है। इस अधकट्टी का दूसरी भाग माल भेजने वाले के पास है। इस दोनों अधकट्टी के मिलान हो जाने पर माल अर्थात जाली नोट की बड़ी खेप की आपूर्ति होती है। जाली नोट के बड़े कारोबार में हवाला के तरीके का इस्तेमाल गिरोह के सदस्य करते है। अशफाक के पास भी इसी प्रक्रिया के तहत अधकट्टी नोट के साथ 7500 रु. का जाली नोट भेजा गया था जिसमें एक हजार पांच सौ और एक सौ का नोट शामिल हैं। सभी प्रकार के जाली नोट पसंद कर लिये गये थे जिसके बाद इसकी करीब 10 लाख रुपया तक की बड़ी खेप पूर्व मुखिया को सप्लाई किया जाना था। लेकिन इससे पहले हीं वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। अशफाक के पास से मिला डिलेवरी पर्ची ने सारे राज खोल दिये।
अशफाक आलम के नाम को लेकर पुलिस पहले तो उधेड़बुन में थी। इससे पूर्व भी अशफाक नामक एक व्यक्ति को जाली नोटों के साथ पुलिस पकड़ी थी। दो-दो अशफाक के बीच पुलिस उलझ गई थी। लेकिन जब पूर्व मुखिया मो. अशफाक आलम के जाली नोटों के कारोबारी के रूप में पुलिस आश्वस्त हो गई तो छापामारी के बाद बड़ी सफलता हाथ लगी। एसपी शिवदीप लांडे ने बताया कि पूर्व मुखिया अशफाक इस अवैध कारोबार का मास्टर माइंड बताया। उन्होंने कहा कि गिरोह के संचालन तथा सुरक्षा के लिये हथियारों को भी रखते है। उन्होंने कहा कि अफरोज और फिंटू खान से भी पूछताछ की जायेगी।

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