Tuesday, May 1, 2012

मनरेगा भी नहीं बदल पायी मजदूरों की तकदीर

भरगामा (अररिया) : भरगामा प्रखंड में मजदूरों की दशा काफी दयनीय बनी हुई है। रोजगार को लेकर अन्यत्र प्रांतों पर निर्भर रहना एक विवशता सी है। वैसे बड़ी संख्या में जाब कार्ड बनाया गया लेकिन मजदूर वर्गो की बड़ी संख्या रोजगार के लिए आज भी परेशान हैं।

लाखों में हैं जाब कार्डधारी :
कार्यक्रम पदाधिकारी भरगामा-रामगंगा के मुताबिक भरगामा प्रखंड में जाब कार्ड धारियों की संख्या बढ़कर डेढ़ लाख हो गई है। जिसमें केवल खजूरी पंचायत में यह संख्या साढ़े चार हजार से अधिक है। खास बात यह है कि डेढ़ लाख जाब कार्ड धारियों में बमुश्किल पचास हजार जाब कार्ड वालों को भी जाब कार्ड निर्माण से लेकर अब तक काम उपलब्ध नहीं कराया जा सका है।
रोजगार के मद्देनजर चलाई गई योजनाएं भी फ्लाप:
प्रखंड प्रमुख दिव्य प्रकाश यादवेंदू बताते हैं कि भरगामा प्रखंड में मनरेगा के तहत चलाई जा रही लगभग सभी योजनाओं में फर्जी जाब कार्ड धारियों के नाम का उल्लेख कर मजदूरों के साथ हकमारी की जा रही है। मूल रूप से बिचौलिए की बढ़ती सक्रियता के कारण-बीआरजीएफ, मनरेगा तथा रोजगार के अवसर वाले प्रखंड से लेकर पंचायतों की सारी योजना पूरी तरह से फ्लाप साबित हुई है। प्रखंड प्रमुख के मुताबिक उक्त सभी योजनाएं लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है।
क्या कहते हैं मजदूर:
खजुरी निवासी मोती ऋषि बताते हैं कि मां-बाप और बच्चों को जोड़कर कुल नौ लोगों का परिवार है जबकि कमाने लायक अकेला मैं। जाब कार्ड बनाने के एक वर्ष तक काम का इंतजार किया। कई बार काम देने की शिकायत भी की लेकिन कुछ भी नहीं बदला। कमोबेश यही शिकायत ढ़ालो, मुरली मंडल, विमल ऋषि व इन जैसे बांकी मजदूरों की भी है जो आज केवल रोजगार हेतु परिवार से दूर पलायन को विवश हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी:
कार्यक्रम पदाधिकारी रामगंगा ने बताया कि मनरेगा के तहत सड़क, पुल, पुलिया आदि के निर्माण तथा वृक्षारोपण जैसी योजनाओं के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। अशिक्षा या अन्य कारणों से लोग प्रक्रियाओं को नहीं समझ पा रहे हैं। काम हेतु आवेदन के बाद प्राथमिकता के हिसाब से काम उपलब्ध कराया जाता है।
भले ही मजदूर दिवस मनाकर इनकी दशा सुधार के लिए हम घोषणा कर लें लेकिन वास्तविक तस्वीर एक निश्चित जिम्मेदारी तय करने के बाद ही बदल पायेगी। जिसमें स्थानीय प्रशासन को आगे आना ही होगा।

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