रानीगंज (अररिया) : पूस पूर्णिमा में कोसी स्नान का अपना अलग स्थान रहा है। कोसी नदी के किनारे बसे रानीगंज में भी पूस की पूर्णिमा में कोसी स्नान की परंपरा आज भी चली आ रही परंपरा कायम है। क्षेत्र में होने वाले इस लोक पर्व एवं इस अवसर पर कोसी नदी किनारे लगने वाले एक दिनी मेले का इस क्षेत्र में बड़ा ही महत्व है। पूस पूर्णिमा के नाम से होने वाले इस लोक पर्व में घर-घर पकवान खाने और खिलाने की प्रथा है।
सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र इस अवसर पर बुधवार को कोसी के किनारे लगने वाला एक दिन का मेला होता है। जहां खास कर कुटीर उद्योग में तैयार सामानों की दुकानें मेले की रौनक होते हैं। लकड़ी से बने सामान चौकी (चारपाई), बैंच, कुर्सी, टेबल, फूस के घरों में लगने वाले खिड़की, दरवाजे, बांस के कमानी से बने टोकरी, सूप, पंखा, डगरा, चटाई आदि की खरीदारी के लिए लोग पूर्व से ही इस मेले का इंतजार करते है। बुधवार को संपन्न हुए इस मेले में लगभग 10-15 लाख रुपये की खरीदारी लोगों ने की। मेले में बुधवार को सबसे ज्यादा खरीदारी लकड़ी के सामानों की हीं हुयी। इस पर्व की पौराणिक कथा की ओर ध्यान दें तो इस अवसर पर नदी किनारे दोस्ती लगाने की भी प्रथा रही है। जब नदी में स्नान कर कोसी नदी की कसमें खा दोस्ती को कायम रखने की भी प्रथा आज भी कायम हैं। दो दोस्तों के बीच फूल माला का आदान प्रदान भी किया जाता हैं। बुधवार को संपन्न हुए इस मेले में सुबह से ही चहल-पहल होनी शुरू हो गयी थी।
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