Sunday, December 19, 2010

लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होना बना अबूझ पहेली

फारबिसगंज (अररिया), जासं: राज्य में कृषि के विकास को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता के बीच खाद उत्पादक पेशोपेश में है। फारबिसगंज स्थित खाद निर्माण कंपनियों पर लाइसेंस नवीनीकरण नहीं कराने के बावजूद खाद उत्पादन करने के आरोप में प्राथमिकी तो दर्ज की जा चुकी है, लेकिन पिछले एक वर्ष से लाइसेंस का नवीकरण विभाग द्वारा नही किया जाना अबूझ पहेली बनकर रह गई है। वर्ष 2009 के दिसंबर माह के बाद से खाद उत्पादकों की अनुज्ञप्ति का नवीनीकरण नही हो सका है।
जिला कृषि पदाधिकारी बैद्यनाथ यादव कहते हैं कि नवीनीकरण हेतु कंपनी द्वारा समय पर आवेदन नही देना इसका मुख्य कारण है। इन लाइसेंसों का नवीनीकरण होगा अथवा नही यह स्पष्ट नही कर सकें। फैक्ट्री की प्रयोगशालाओं में कमी होना भी नवीकरण नहीं होने के कारण बताया जा रहा है। इधर खाद उत्पादक अपने को सही मानते हुए पदाधिकारियों पर बेवजह प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहे है। इनका दावा है कि उनके यहां के प्रयोगशालाओं में जो भी कमियां थी उसे काफी पहले दूर कर लिया गया है। फिर क्या वजह है कि एक वर्ष से नवीकरण नहीं किया जा रहा है।
डी.ए.ओ. श्री यादव कहते है कि इस फैक्ट्रियों में मिक्चर बनाया खाद बनाया जाता है। जिन घटकों से यह मिक्चर बनाया जाता है वह तो बाजार में भी उपलब्ध है। इसलिये मिक्चर खाद का उत्पादन नही होने से किसानों के बीच खाद की किल्लत की स्थिति नहीं आने वाली है। फिर सवाल उठता है कि लाइसेंस नवीनीकरण और मिक्चर खाद की जरूरत किसानों के लिए जिला प्रशासन को है कि नही? हिमालय एग्रो की फैक्ट्री में पिछले एक माह के दौरान दो बार सील किया जाना भी अस्पष्ट दिशा-निर्देश का संकेत दे रहा है। खाद उत्पादकों को यह भी स्पष्ट नही कहा जा रहा कि लाइसेंस दोबारा ले। जबकि नवीनीकरण को भी लंबी प्रक्रिया में उलझा दिया गया है।

0 comments:

Post a Comment