अररिया(Araria) : श्रद्धा व निष्ठा के साथ ग्रामीण महिलाओं द्वारा एक जलाशय से जल का उठाव व पूरे गांव की परिक्रमा के बाद दूसरे जलाशय में उसका निक्षेप..। साथ में ग्राम देवताओं की पूजा और मंदिरों में भ्रमण के साथ पुत्र व पति की दीर्घायु कामना भी। बात कुछ सामान्य सी नहीं लगती है। लेकिन जब किसी बात में लाखों लोग संलिप्त हों तो उसे सामान्य नहीं तो और क्या कहेंगे?
बात इन दिनों अररिया के ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी श्रद्धा व निष्ठा के साथ हर रोज चल रही कलश यात्राओं की है।
कुर्साकाटा से कुसियारगांव व जोकीहाट से भरगामा तक हर गांव में हो रही हैं कलश यात्राएं। पीले कपड़ों में सजी महिलाएं, माथे पर जल से भरा कलश और उसे लेकर गांव की परिक्रमा के बाद किसी नदी में उसका श्रद्धापूर्वक निक्षेप।
अररिया प्रखंड के सुदूर स्थित गांव देवरिया में मालती देवी नामक एक महिला ने बताया कि यह सब बच्चे की लंबी उम्र के लिये करते हैं। उसके मुताबिक देवरिया गांव में बहुत देवी-देवता हैं। कलश यात्राओं के माध्यम से उनका आवाहन होता है और उन्हें जगाया जाता है। भगवती, दुर्गा, काली, मालसूर, जिन बाबा, वारुणि, काजरि-माजरि, बिसहरी, मां मनसा और साथ में भीमसेन, राम ठाकुर, दुखाचार्य, लाठी झावर व वेणु बाबा जैसे ग्राम देवताओं का आह्वान भी। .. हे देव जगिये! देवी माता जगो! मेरे पुत्र की रक्षा करो! मेरे वंश की बेल को लंबी करो! तरह तरह का कबूला व मनौतियां।
अररिया के निकट बसंतपुर गांव की तीयर टोली में कुछ महिलाओं ने बताया कि कलश यात्रा से पुत्र तथा पति की दीर्घायु कामना की जाती है। साथ ही बूढ़ी मैया की पूजा अर्चना भी। ..जौं हम जनितौं, बूढ़ी मैया अयतै अगर चंदन घर ढोरितौं हे।
कलश यात्राएं शायद जल संरक्षण के प्रति ग्रामीण प्रतिबद्धता का भी संकेत देती हैं। हजारों की संख्या में महिलाएं जब किसी जल स्रोत में अपने घड़े से जल डालती हों तो यह जल संरक्षण नहीं तो और क्या है?
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