Friday, January 14, 2011

वह सरस्वती थी और यह लक्ष्मी...

अररिया : वह सरस्वती थी और यह लक्ष्मी। वह रेणु की लेखनी की शक्ति थी तो यह परिवार के पीछे की ताकत। आज वो हम सबको छोड़ कर चली गयी।
लतिका रेणु के निधन से शोक संतप्त फणीश्वर नाथ रेणु के छोटे पुत्र दक्षिणेश्वर राय पप्पू ने कहा कि छोटी मां नौ दिसंबर 2009 को यहां आयी। उस दिन से हमारे पूरे परिवार के लिये अच्छा ही होता रहा। वह साक्षात
सरस्वती थी। बाबूजी के कलम की असल ताकत।
श्री पप्पू ने बताया कि अगर लतिका नहीं होती तो मैला आंचल भी दुनिया के सामने नहीं आ पाता। वर्षो के वनवास के बाद वे जब यहां पहुंची तो हम सबकी तकदीर पलटा दी। भैया
वेणु विधायक बन गये और गांव में विकास के कार्य परवान चढ़ने लगे।
स्टोरी 2.
बाबू जी को मौत के मुंह से बचाया था..
अररिया, जाप्र: छोटी मां ने बाबूजी को मौत के मुंह से बचाया था। हम उन्हें कैसे भूल सकते हैं। इतना कहते ही फफक पड़े रेणु जी के कनिष्ठ पुत्र दक्षिणेश्वर राय पप्पू।
लतिका रेणु की मौत के बाद आगंतुकों को रिसीव करने व स्थिति को संभालने में लगे श्री पप्पू ने बताया कि अगर लतिका रेणु नहीं होती तो मैला आंचल पाठकों के सामने कभी नहीं आ पाता। बाबूजी घोर बीमार, सब यही कहते थे कि बचेंगे नहीं। लेकिन छोटी मां की सेवा शुश्रुषा ने उन्हें मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया। फिर जब बाबूजी ने मैला आंचल लिखा तो उसे छपवाने के लिये पैसे नहीं थे।
लतिका जी ने अपने गहने बेच कर पुस्तक प्रकाशित करवाई और रेणु जी को दुनिया भर में पहचान मिली।
स्टोरी 3.
सौतन नहीं सगी बहन कहिये..
रेणुग्राम (अररिया), जाप्र: फणीश्वर नाथ रेणु की दो पत्‍ि‌नयां पद्मा व लतिका के बीच सौतन नहीं सगी बहन जैसा रिश्ता था। गुरुवार की सुबह लतिका रेणु के गुजरने के बाद पद्मा के विलाप में सगी बहन के आंसू साफ नजर आये। इस रिश्ते को रेखांकित करती पद्मा रेणु ने बताया कि डेढ़ साल से एतय रहय रहे। सब कुछ एक साथ। उठना, बैठना, सुतना, खाना-नस्ता सब एक्के साथ। आर की कहबौन?
पद्मा जी ने बताया कि वे खूब समझदार थी और रेणु जी के प्रति बेहद आस्थावान। गुरुवार की सुबह उन्होंने पद्मा जी के हाथों चाय पी और भर नजर उन्हें देखकर सदा के लिये आंखें बंद कर लीं।
वहीं, परिजनों ने बताया कि दोनों एक ही बिछावन पर साथ साथ सोती थी तथा दोनों के बीच आपस में गहरा प्रेम था।
स्टोरी 4.
वेणु के लिये सीएम को कहा था लतिका ने
रेणुग्राम (अररिया), जाप्र: फणीश्वरनाथ रेणु ने सन 72 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में फारबिसगंज से विधान सभा का चुनाव लड़ा था। लेकिन जीत नहीं पाये थे। लतिका जी के मन में शायद यह बात खटक रही होगी। रेणु जी के पुत्र दक्षिणेश्वर राय ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब हिंगना औराही आये थे तो लतिका जी ने उनसे कहा था कि हमारे बेटे वेणु के लिये कुछ कीजिये। इस पर सीएम ने कहाकि हम कुछ करेंगे जरूर और फिर वेणु को यहां से भाजपा का टिकट मिला और वे विधायक के रूप में पटना पहुंच गये।

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