Wednesday, January 12, 2011

युवा शक्ति हो रही दिशाहीनता की शिकार

अररिया : युवा वर्ग को क्या हो गया है? आजाद खयाली तो पहले भी थी, लेकिन ऐसी मनमर्जी, किसी की बात नहीं सुनने की जिद, गुटखा खाने का ऐसा हठ, यही प्रतीत होता है कि उन्हें प्रेरित करने वाली ताकतें कमजोर हो रही हैं। युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद की जयंती मनती तो है, पर उन्हें आदर्श के रूप में मानने की पहल कम ही नजर आती है।
अररिया में युवा शक्ति का इतिहास बड़ा गौरवपूर्ण रहा है। आजादी की जंग हो या फिर आपातकाल के विरोध का प्रश्न, यहां के युवाओं ने हर मौके पर अगली पंक्ति में अपना स्थान बनाया।
लेकिन महाविद्यालयों व उच्च विद्यालयों को अगर युवा शक्ति की सक्रियता का इंडेक्स मानें तो यह ताकत कहीं न कहीं कमजोर नजर आती है।
इस संबंध में पूछे जाने पर अररिया महाविद्यालय में समाज शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डा. सुबोध कुमार ठाकुर कहते हैं कि युवा शक्ति दिशाहीनता की शिकार हो रही है। क्योंकि उन्हें प्रेरित करने वाली ताकतें ही कमजोर दिख रही हैं। स्वतंत्रता संग्राम में बापू का नेतृत्व था। उनके अधीन कार्य कर रहे नेता भी अच्छे नेतृत्वकर्ता थे। इसी तरह आपात काल के दिनों को देखिए। जेपी की लीडरशिप में युवाओं की फौज ने कैसे काम किये। उनका मानना है कि युवाओं के प्रति सामाजिकसतर्कता व देखभाल की निहायत जरूरत है। थोड़ी सी सावधानी से हालात अच्छे हो सकते हैं।
युवाओं में संस्कार को सुदृढ़ करने व उनकी योग्यता के विकास को ले कार्य कर रहे नेहरू युवा केंद्र जैसे संगठन स्टीरियो टाइप कार्यक्रम में व्यस्त रहते हैं। उनकी पहल के सार्थक नतीजे सामने नहीं आ रहे। युवा ताकत में रचनात्मकता के विकास जैसी बात अब कहां हो रही है?
हालांकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व अन्य छात्र तथा युवा संगठन स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मान कर ज्ञान, शील, एकता जैसे बिंदुओं पर युवाओं को प्रेरित जरूर कर रहे हैं।
बाक्स
संगीत की दुनिया में राष्ट्रीय फलक पर अमर ने बनाया पहचान
-रणधीर ने आइएएस की परीक्षा में देश में तीसरा स्थान लाकर अररिया का नाम किया रोशन
-अररिया के युवाओं में भी है क्षमता
अररिया, जाप्र: गरीबी, अशिक्षा व दिशाहीनता जैसी तमाम बाधाओं के बावजूद अररिया की धरती के लालों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले कई युवा दिये हैं। अमर आनंद इनमें से एक हैं। संगीत की सुरीली सीढि़यों पर चढ़ कर अमर ने अपना जो मुकाम बनाया वह लंबे अरसे तक जिले के युवाओं को प्रेरित करता रहेगा।
जिले के गिदवास गांव में एक गरीब परिवार में जन्मे 25 वर्षीय अमर आनंद को, ऐसा प्रतीत होता है कि सरस्वती मां ने खुल कर आर्शीवाद दिया है। बहुत ही कम समय में अमर ने सुर व संगीत की दुनिया में अपनी एक खास पहचान बना ली है। सुमधुर गीतों की कई सीडी प्रस्तुत करने के अलावा अमर आनंद ने एक टीवी चैनल की संगीत प्रतियोगिता सुर संग्राम में फाइनल तक का सफर पूरा किया। अमर की प्रतिभा से संगीत निर्देशक इस्माइल दरबार, प्रख्यात गायक उदित नारायण, भोजपुरी फिल्मों के अमिताभ
कहे जाने वाले मनोज तिवारी मृदुल, गायिका कल्पना जैसी हस्तियां प्रभावित हैं।
वहीं, चार साल पहले संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले रणधीर कुमार ने अपनी परिश्रम व प्रतिभा से यह साबित कर दिया कि छोटी जगह में भी बड़े सपने देखे जा सकते हैं। कोई ठान ले तो छोटी जगह से भी पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना सकता है। यह कहानी है युवा आइएएस रणधीर कुमार की, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में देश में तीसरा स्थान प्राप्त कर जिले का नाम रोशन किया। अररिया प्रखंड के जमुआ गांव निवासी बाल कृष्ण झा के पुत्र रणधीर आईआईटी इंजीनियर रह चुके हैं।

0 comments:

Post a Comment