Tuesday, January 11, 2011

किसानों को आलू फसल का नहीं मिला मुआवजा

बथनाहा (अररिया) : पता नहीं सीमावर्ती क्षेत्र के आलू किसानों को किसकी नजर लग गयी है। पिछले चार साल से फसल की लागत मूल्य तक किसानों को नहीं मिल पा रही है। सीमावर्ती नरपतगंज अंचल के नवाबगंज पंचायत अंतर्गत भोड़हर एवं चैनपुर आदि गांवों के दर्जनों किसानों की आलू की फसल लगातार चौथे साल भी चौपट हो गयी। यह भाग्य की विडंबना ही कही जाय कि सबसे पहले वर्ष 2008 में किसानों द्वारा बथनाहा के एक शीत गृह में रखे गए किसानों के हजारों क्विंटल आलू बर्बाद हो गये। जिसका अभी तक कोई मुआवजा सरकार या कंपनी की ओर से प्रदान नहीं किया गया वहीं उसके अगले वर्ष पछेती झुलसा रोग के कारण आलू की खेती नष्ट हो गयी थी। उसके बाद वाले वर्ष भी किसानों को आलू का उचित कीमत नहीं मिल पाया था। इस वर्ष बीज संक्रमण होने के कारण आलू की खेती करीब चालीस से पचास प्रतिशत नष्ट हो गयी है। आलू के भारी पैदावार के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र के किसानों ने बताया कि एक एकड़ आलू की खेती करने में 30 से 35 हजार रुपये की लागत आती है। जबकि इस बार सरकार के निर्देश पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा फसल का मुआवना करने के उपरांत प्रति एकड़ एक हजार रुपये की दर से फसल की क्षतिपूर्ति की घोषणा की गई है।किसानों ने बताया कि घोषणा के बाद भी नवाबगंज पंचायत के किसानों को अभी तक मुआवजा की राशि आवंटित नहीं हो पायी है।

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