Sunday, December 12, 2010

नहीं हो रहा मानकों का पालन

अररिया प्रतिनिधि : अररिया जिले में निर्माण कार्यों में इंजीनियरिंग ना‌र्म्स का पालन नहीं किया जा रहा। छत में सीपेज व घटिया सीमेंट व बालू का प्रयोग तो एक बात है यहां की अधिकांश पब्लिक बिल्डिंग बगैर स्ट्रक्चर डिजाइन के ही बन रही हैं। सनद रहे कि अररिया भूकंप के जोन फाइव में आता है। निर्माण कार्यो में तनिक भी ढिलाई खतरनाक हो सकती है। आरइओ के अधीक्षण अभियंता सतीकांत झा भी मानते हैं कि कुछ स्थानों पर इंजीनियरिंग के नजरिये से गंभीर त्रुटि दिख रही है। इसमें पीरगंज घाट पर बकरा पुल प्रमुख है।
जिले में इंजीनियरिंग ना‌र्म्स की धज्जी किस तरह उड़ती है, इसे दिखाने के लिय हम आपको पीरगंज लिये चलते हैं। यहां बकरा नदी में करोड़ों की लागत से विशाल पक्का पुल बनाया गया। लेकिन नदी की धारा को पुल के नीचे से प्रवाही रखने को ले कोई स्पर नहीं बनाया गया। नतीजा यह हुआ कि नदी ने विगत बाढ़ में पुल को ही छोड़ कर खतरे की घंटी बजा दी।
एबीएम सिकटी पथ के निर्माण में सड़क ठीक बनी, लेकिन सड़क के बगल से बहने वाली धाराओं को रेगुलेट करने पर किसी अभियंता ने ध्यान नहीं दिया। नतीजा- बड़ी लंबाई में सड़क ध्वस्त हो गयी तथा लोगों को आवागमन में भारी दिक्कत हो रही है।
निर्माण के कुछ ही दिन में पुल-पुलिया व भवन का ध्वस्त हो जाना इस जिले की खास पहचान है। हो सकता है कि संवेदक कुछ गड़बड़ करते होंगे, लेकिन इस बात को आप क्या कहेंगे कि प्राक्कलन बनाने में कोई अभियंता भवन में छत और बीम ही नहीं डाले। अररिया कालेज में सम विकास योजनांतर्गत बन रहे इंडोर स्टेडियम (लागत 40 लाख रु.) व परीक्षा भवन (लागत लगभग 1 करोड़ रु.) का प्रक्कलन बनाते वक्त अभियंता ने क्रमश: छत व बीम का प्रावधान ही नहीं किया। ताज्जुब है कि योजना को तकनीकी व प्रशासनिक स्वीकृति कैसे मिल गयी।
पीडब्लुडी के अवकाशप्राप्त कार्यपालक अभियंता एसएन सिंह की मानें तो विगत दो दशक से भवन निर्माण में यहां इंजीनियरिंग ना‌र्म्स का पालन नहीं हो रहा है। नियमों के अनुसार बुनियाद से बीम व छत तक स्ट्रक्चर डिजाइन होना चाहिये, लेकिन नहीं होता है। इससे भवन कभी भी गिर सकता है।
वहीं, जिले के गावों में चलें तो सर्वत्र टूटे व ध्वस्त कॉजवे नजर आते हैं। इनका निर्माण नब्बे के दशक में हुआ था। जानकारों की मानें तो इनके निर्माण में इंजीनियरिंग मानकों का खयाल नहीं रखा गया। जिस वजह से ये बनने के साथ ही ध्वस्त होते चले गये। इन्हें देख कर कई लोग अररिया जिले को कल्वर्ट व कॉजवे का कब्रिस्तान भी कहते हैं।

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