अररिया, कार्यालय प्रतिनिधि: मंहगाई की मार से बेहाल आम लोगों के लिए पेट्रोल की कीमत में फिर वृद्धि बुरी खबर के रूप में सामने आई है। पिछले छह माह में पेट्रोल में करीब साढ़े सात रूपये की वृद्धि हो चुकी है। जिससे खासकर मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट बिल्कुल ही बिगड़ गया है तथा मध्यमवर्गीय परिवारों के वाहनों का चक्का जाम होने की स्थिति आ गई है।
पेट्रोल की कीमत में लगी आग ने आम लोगों को एक बार फिर झुलसा दिया है। एक तो जिन्स, सब्जी और उपयोग की सभी सामानों की कीमतों में डेढ़ से दो गुणा की वृद्धि हो चुकी है, जिससे आम लोगों के घर का बजट पहले ही बिगड़ चुका है। लेकिन एक बार फिर पेट्रोल की कीमत में वृद्धि कर जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम हुआ है।
ज्ञात हो कि पेट्रोल की कीमत में मंगलवार की अर्द्धरात्रि से 2:96 रूपये सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम की ओर से की गयी है। जबकि इंडियन ऑयल और हिन्दुस्तार पेट्रोलियम कंपनियां बुधवार की अर्द्ध रात्रि से कीमत में वृद्धि करने वाली है। इस हिसाब से गुरूवार से खुले बाजारों में तेल की कीमत लगभग तीन रूपये बढ़ जायेगी। पेट्रोल की कीमत में वृद्धि का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल(कूड) की मूल्य में बढोतरी बताया गया है। बताया गया है कि कूड महंगा होकर 90 डालर प्रति बैटल पर पहुंच गया है। जिससे तेल कंपनियों को करीब सावा चार रूपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा था। बताया जा है तेल कंपनियां सारा घाटा उपभोक्ताओं से वसूलना चाहती है। लेकिन मंत्रालय के अंकुश के कारण उतनी मूल्य वृद्धि नहीं की गयी है।
मालूम हो कि केन्द्र सरकार ने 25 जून 2010 को पेट्रोल की कीमत तय करने का अधिकार सरकारी तेल कंपनियों को दिया है। तब से अब तक पेट्रोल की कीमत छह बार बढ़ाई जा चुकी है। इस तरह पिछले छह माह में पेट्रोल की कीमत में करीब 7.60 रूपये की वृद्धि दर्ज की गयी है।
एक ओर देश की जनता पहले ही कमर तोड़ मंहगाई के त्रस्त है ऐसे में पेट्रोल की कीमत में वृद्धि निश्चित रूप से उनके लिए बुरे संकेत हैं। खासकर मध्यम वर्गीय परिवार जो समाज में अपनी हैसियत बरकरार रखने के लिए कर्ज लेकर दो पहिया व चार पहिया वाहन तो खरीद लेते हैं किंतु पेट्रोल के बढ़े मूल्य ने वाहनों को सड़कों पर दौड़ाना मुश्किल कर दिया है। ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवारों के वाहनों का चक्का जाम होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। एक तो खाने वाले तेल से लेकर लगाने वाले तेल, साबून व दाल-सब्जी की आसमान छूती कीमतों ने उनका बजट पहले ही बिगाड़ दिया है। अब एक बार फिर पेट्रोल की कीमत में वृद्धि उनके लिए बुरी खबर बन कर आयी है। सरकार ने अगर शीघ्र कीमतों पर कंट्रोल करने के उपाय नहीं किये तो आम लोगों का जीना मुश्किल हो सकता है।
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