Thursday, December 16, 2010

मंथर गति से चल रही राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना

फारबिसगंज(अररिया),जासं: सरकार के दावों के बावजूद 2010 तक जिले में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाया। वर्षो बाद भी रफ्तार नहीं पकड़ सकी। गांवों तक बिजली पहुंचाने की यह योजना अपने निर्धारित समय और लक्ष्य से फिलहाल काफी पीछे चल रही है। कछुआ गति से अगले कुछ वर्षो में भी गांवों में विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो सकेगा। यह कहना कठिन है। प्रथम चरण के तहत वर्ष 2002 से 2006 तक जिले के चयनित 593 गांवों में विद्युतीकरण कार्य को पूरा कर लेना था। जिसमें से अब तक मात्र 90 गांव तक ही बिजली पहुंच सकी है। प्रथम चरण के चयनित गांवों में विद्युतीकरण कार्य पूरा हो जाने के बाद दूसरे चरण में जिले के अन्य गांवों में विद्युतीकरण का काम किया जाना था। प्रथम चरण के काम की रफ्तार से ही योजना के हश्र का अनुमान लगाया जा सकता है। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का कार्य पावर ग्रिड के माध्यम से एसपीएमएल को दिया गया है। गांवों में विद्युतीकरण का कार्य पूरा होने के बाद विद्युत आपूर्ति के लिए बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को हस्तगत करना है। जिले के कुल 90 गांवों को काम पूरा होने के बाद विभाग को हस्तगत किया जा सका है। इसके अलावा विभिन्न प्रखंडों के करीब 110 गांवों में काम अंतिम चरण में है। शेष लक्षित गांवों का काम अभी कोसो दूर है। हस्तगत किये जाने वाले विद्युतीकृत गांवों में अभी भी कहीं ट्रांसफार्मर ही लगा है। अथवा यह खराब पड़ा हुआ है। विद्युत विभाग ऐसे गांवों को स्वीकार नहीं कर रहा है जहां काम अधूरा कर सौंपा जा रहा है। पावर ग्रिड और एसपीएमएल की लेट लतीफी और लापरवाही का नमूना यहीं देखने को मिलता है। फारबिसगंज स्थित एसपीएमएल के स्टोर में नये ट्रांसफार्मर तथा अन्य सामान आसमान के नीचे काफी समय से पड़ा हुआ है।
विद्युत कार्यपालक अभियंता सीताराम सिंह कहते है कि संवेदक द्वारा काम बहुत धीमा किया जा रहा है। जिसके कारण योजना लक्ष्य से पीछे चल रहा है। 110 गांवों का कार्य प्रगति पर है। श्री सिंह बताते है कि इन गांवों में या तो ट्रांसफार्मर नहीं लगा है या फिर लगने के बाद चोरी हो गयी। जिस वजह से विभाग इसे हस्तगत नहीं ले रहा है। योजना के तहत विद्युतीकरण के साथ गांव के दस फीसदी बीपीएल परिवारों के घर तक बिजली का कनेक्शन भी संवेदक को ही पूरा करके विद्युत विभाग को सौंपना है। जिला भर में दर्जनों ऐसे गांव है जहां आधे अधूरे विद्युतीकरण के बाद विद्युत की आपूर्ति भी चोरी छिपे हो रही है। इससे प्रतिमाह लाखों रुपये राजस्व की हानि हो रही है। संवेदक द्वारा विभाग को ऐसे गांव हस्तागत नहीं होने के कारण विभाग के अधिकारी बिजली चोरी के मामले से पल्ला झाड़ ले रहे है। इधर विलंब को लेकर कार्यपालक अभियंता के द्वारा कई पत्रों के बाद एवं फिर चार दिसंबर को भी पावर ग्रिड पूर्णिया उप महाप्रबंधक को पत्र लिख गया जिसमें कहा गया कि बिना ट्रांसफार्मर लगे गांवों की सूची भेजी जा रही है। विद्युतीकृत किये जा सकने वाले गांवों की सूची मांगी गयी है। ताकि समय पर बिजली दिया जा सके। अभी पहले चरण के काम की यह दुर्दशा है।

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